उसके बाद मैं भी सोचता रहा कि क्या सोच रही होगी भाभी इस वक्त, उसके मन में कैसे विचार आ रहे होंगे. पूरा दिन मैंने इसी सोच-विचार में निकाल दिया. फिर रात हुई और मैं सो गया.
अगले दिन जब मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर पीछे बालकनी में तौलिया डालने के लिए आया तो मैंने देखा कि पीछे की बालकनी में कुछ कपड़े गिरे हुए थे. उन कपड़ों में तौलिया, साड़ी, पेटीकोट के अलावा किसी महिला की पैंटी भी थी.
मैंने पैंटी को उठाया और ऊपर की ओर देखा. ऊपर कोई नहीं था. मैंने उस काले रंग की पैंटी को ध्यान से देखा. उसके साइज को देख कर लग रहा था कि हो न हो ये पैंटी भाभी की हो सकती है.
वहीं पर खड़ा हुआ मैं भाभी की पैंटी को सूंघने लगा. भाभी की पैंटी को नाक से लगाते ही मेरा लंड मेरी पैंट में सलामी देने लगा. कुछ पल के लिए मैंने भाभी की पैंटी की खुशबू ली और फिर उसको वहीं डाल कर अंदर जाने लगा.
तभी पीछे से एक मीठी सी आवाज आई- कोई है क्या यहां?
मैं तुरंत उल्टे पांव वापस गया और तपाक से बोला- जी कहिये?
भाभी बोली- हमारे कुछ कपड़े यहां पर गिर गये हैं. इतने दिनों के बाद आज छत पर सुखाने के लिए डाले थे. हवा के साथ ही आपके यहां पर गिर गये.
मैंने कहा- कोई बात नहीं. मैं आपके कपड़े वापस ले आता हूं.
इतना बोलकर मैं कपड़े उठा कर अंदर ले गया. मैंने उसमें से भाभी की पैंटी रख ली और बाकी के कपड़े वापस देकर आ गया.
अगले दिन फिर रविवार था. मेरे ऑफिस की छुट्टी थी. दोपहर का वक्त हो चला था. दोपहर के 1-2 बजे का टाइम था. मैं आज सुबह से ही भाभी का इंतजार कर रहा था कि वो कब छत पर आयेगी. फिर जब मुझे पता चला कि भाभी छत पर आ चुकी है तो मैं जल्दी से अपने कपड़े उतार कर फिर से बालकनी में पहुंच गया और मैंने वहीं पर सामने शीशा भी रख लिया.
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मैंने शीशे को ऐसे सेट कर लिया कि ऐसे लगे कि मैं कुछ काम कर रहा हूं. मैं चाहता था कि भाभी भी मुझे शीशे में से दिखाई पड़ती रहे और ऊपर से वो भी मेरे बदन के दर्शन करती रहे. मैं उसको अपने नंगे बदन का जी भर कर दीदार करवाना चाहता था.
फिर वो पीछे आई और कुछ आवाजें करने लगी. मैंने उनकी आवाज को अनसुना कर दिया. जबकि मैं जान गया था कि वो मुझसे ही कुछ कहने की कोशिश कर रही थी.
मैंने भाभी पर ध्यान न देने का नाटक किया तो वह मेरे घर में झांकने लगी. मैं देख रहा था कि भाभी ऊपर से झांक रही है. वो चुपचाप मेरे बदन के नजारे लूटने लगी.
मेरा लंड भी मेरी फ्रेंची में अकड़ रहा था. मेरे लंड में मैं जान बूझ कर झटके दे रहा था ताकि भाभी मेरे लंड की गर्मी को भांप सके. मैं बीच बीच में अपने लंड पर हाथ भी फिरा रहा था जिसे देख कर भाभी अपने होंठों को भींचने लगती थी.
इस बार मैंने नोटिस किया काफी देर ताड़ने के बाद भाभी अब गर्म होने लगी थी. वो दीवार के साथ में ही एक कोने से सटा कर अपनी चूत को रगड़ रही थी. भाभी जोर जोर से अपनी चूत को दीवार के कोने पर दबाती हुई अलग से दिखाई दे रही थी.
उसके बाद मैंने पजामा पहना और वहां से चला गया. फिर जब मैं वापस आया तो भाभी अभी भी वहीं पर खड़ी हुई थी. मैंने इस बार उनकी नजर नजर से नजर मिला ली. वो जैसे बचने का बहाना करते हुए बोली- आपके यहां पर कुछ कपड़े और होंगे शायद.
मैं जानता था कि भाभी अपनी पैंटी के बारे में बात कर रही है. अब मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए कहा- मुझे तो नहीं मिले हैं भाभी.
वो बोली- आप ठीक से देखिये. वहीं पर हो सकते हैं क्योंकि कपड़े आपके यहीं पर ही गिरे हुए थे.
उनकी बात पर मैंने उनको भरोसा देने के लिए कहा- मुझे तो नहीं मिले हैं और कपड़े. अगर आपको लग रहा है कि यहीं पर गिरे होंगे तो आप खुद ही आकर देख लीजिये और तसल्ली से चेक कर लीजिये.
कुछ देर सोचने के बाद भाभी बोली- ठीक है, मैं यहीं से आने की कोशिश करती हूं. अगर मैं गिरने लगूं तो आप मुझे पकड़ लीजियेगा.
मैंने भी तपाक से कहा- हां-हां, आप आ जाइये मैं आपको गिरने नहीं दूंगा.
भाभी ने मेरी ओर देख कर हल्की सी कामुक स्माइल दी और उतरने के लिए तैयार हो गयी. भाभी ने अपनी साड़ी का पल्लू अपनी कमर में फंसा लिया.
जैसे ही भाभी ने अपने पैर उठा कर दीवार को लांघने की कोशिश की तो भाभी की साड़ी ऊपर उठ गयी. उनकी साड़ी घुटनों तक उठ गयी थी. मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा था.
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फिर भाभी नीचे उतरने लगी और सीधा मेरी गोदी में आ गयी. भाभी का बदन मेरे बदन से रगड़ खाता हुआ नीचे जाने लगा और उसी रगड़ के कारण मेरा पजामा, जो कि ढीला था, भाभी को नीचे उतारने के साथ ही वो भी नीचे जा खिसका.
पजामा नीचे होते ही मेरा 8 इंची लंड भाभी को सलामी देने लगा. जैसे ही भाभी ने खुद को संभालते हुए मेरी ओर देखा तो उनके सामने मेरा आठ इंची लंड लटका हुआ था.
लंड को देखते ही भाभी का मुंह खुला का खुला रह गया. एक दो पल उसने हैरत से मेरे लंड को देखा और फिर भाभी ने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया.
मैं तो पहले ही भाभी की चुदाई के मौका चाहता था. इसलिए इस मौके को मैं अब हाथ से नहीं जाने दे सकता था. मेरा लंड उछल उछल कर झटके दे रहा था.