गाड़ी तो तुमसे ही ठीक करवाऊंगी

मेरा नाम कल्पेश है मैं गुजरात के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं लेकिन अब मैं अहमदाबाद में ही रहता हूं। मैंने अपने बचपन के दिन बहुत ही गरीबी में गुजारे हैं और हमेशा ही मैं यह सोचता कि क्या मैं ऐसे ही दिन काटने वाला हूं मेरे पिताजी मेहनत मजदूरी कर के घर का खर्चा चलाया करते थे और मुझे कई बार लगता कि शायद हम लोग ऐसे ही अपना जीवन गुजारने वाले हैं. mechanic ne choda

मेरे पिताजी की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी.

लेकिन उसके बावजूद भी वह मजदूरी कर के घर का खर्चा चलाया करते, मुझे उन्हें देख कर बहुत ही बुरा लगता. इसलिए मैंने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी और मैं काम करने लगा.

मेरे माता-पिता मुझे कहते कि तुम अभी से काम मत करो लेकिन मुझे उन्हें देख कर बहुत बुरा लगता था और मैं चाहता था कि मैं अब काम करूं जिससे कि घर का थोड़ा बहुत खर्चा निकल जाया करें।

हम लोग उस वक्त गांव में ही रहते थे. mechanic ne choda

मैं भी काम करने लगा था मैं जब थोड़ा समझदार हो गया तो मुझे लगा मुझे कोई ऐसा काम करना चाहिए जिससे कि मुझे अच्छी आमदनी हो।

हमारे गांव में ही एक चाचा हैं उन्होंने मुझे उस वक्त गाड़ी का काम सिखाया और मैं उनके गैराज में काम किया करता था वह मुझे पैसे तो बहुत कम दिया करते थे लेकिन मैं उनके साथ पूरी तरीके से गाड़ी का काम सीख चुका था जिससे कि मुझे आगे चल कर मदद मिलने वाली थी। हमारे गांव में किसी का भी गैराज नहीं था तो मैंने गाड़ी का गैराज खोल लिया और मेरा काम अच्छा चलने लगा..

मेरे पिताजी बहुत बुजुर्ग हो चुके थे तो मैंने उन्हें काम करने से मना कर दिया था और वह ज्यादातर घर में ही रहते थे मेरी बहन की शादी का सारा जिम्मा मेरे सर था और मैंने अपनी बहन की शादी भी बड़े धूमधाम से करवाई, मेरे माता-पिता मुझसे बहुत खुश रहते और एक दिन वह मुझे कहने लगे कल्पेश तुम भी शादी कर लो मैंने उन्हें कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूं मुझे थोड़ा और समय चाहिए मैं नहीं चाहता कि मैं अपना जीवन ऐसे ही काटू।

मेरे गांव का गैराज बहुत बढ़िया चलने लगा था. mechanic ne choda

अब मेरे पास पैसे भी आने लगे थे मैं सोचने लगा कि मुझे कुछ और भी करना चाहिए।

एक दिन मैं अपने गैराज में बैठा हुआ था.

उस दिन मेरे पास हमारे गांव का एक लड़का आया वह अहमदाबाद में नौकरी करता है वह मुझे कहने लगा और कल्पेश भैया कैसे हो? मैंने उसे कहा मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ तुम्हारी नौकरी कैसी चल रही है, वह मुझे कहने लगा बस मेरी नौकरी भी ठीक ही चल रही है।

मैंने उसे कहा तुम काफी समय बाद घर आ रहे हो वह मुझे कहने लगे हां छुट्टी नहीं मिल पाती तो घर आने का समय भी नहीं मिल पाता मैंने उसे कहा और अहमदाबाद में सब कुछ ठीक है तो वह कहने लगा हां वहां पर तो सब कुछ बहुत ही बढ़िया है बातों बातों में उसने मुझसे यह बात कह दी कि आप अपना काम अहमदाबाद में क्यों नहीं खोल लेते, मुझे भी लगा कि वह भी सही कह रहा है मुझे एक बार तो अहमदाबाद में जाकर देखना ही चाहिए और इसी के सिलसिले में मैं एक बार अहमदाबाद चला गया.

मैं कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद में एक होटल में रुका और वहां पर मुझे एक दुकान किराए पर मिल गई मैंने सोचा कि चलो यहां पर ही मैं अपना काम शुरू कर देता हूं लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मेरे गांव का गैराज कौन संभालता? मैंने उस वक्त अपने चाचा के लड़के को कहा वह भी कुछ कर नहीं रहा था तो मैंने उसे कहा तुम यहां का काम संभाल लिया करो वह कहने लगा लेकिन मुझे तो काम आता ही नहीं है.

मैंने उसे कहा मैं तुम्हें यह काम सिखा दूंगा। mechanic ne choda

मैंने उसे कुछ ही दिनों में सारा काम सिखा दिया अब वह दुकान का सारा काम संभालने लगा और मैंने अहमदाबाद में जो दुकान किराए पर ली थी वहां पर मैंने अपना काम शुरू कर दिया, अहमदाबाद में मुझे काम करते हुए तीन महीने हो चुके थे और मेरा काम भी अच्छा चलने लगा मैं बीच-बीच में अपने गांव भी चले जाया करता गांव का काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और मेरे चाचा का लड़का काम बड़ी ईमानदारी से कर रहा था।

एक दिन मैं अपने गांव गया हुआ था. mechanic ne choda

तो मेरे पिताजी की तबीयत खराब हो गई और उन्हें मुझे अस्पताल ले जाना पड़ा लेकिन गांव में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा ना होने के कारण मुझे उन्हें अपने साथ अहमदाबाद ले जाना पड़ा, मैंने अहमदाबाद में किराए का मकान भी ले लिया था और अब मैं अपने माता पिता के साथ अहमदाबाद में ही रहने लगा उनका इलाज भी अहमदाबाद में ही चल रहा था जिससे कि उन्हें थोड़ा बहुत आराम भी था.

वह लोग मेरे साथ ही रहने लगे थे.

मुझे भी अच्छा लगता कि वह लोग मेरे साथ रह रहे हैं मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश भी था और मेरा काम भी अच्छा चल रहा था मैंने दुकान में तीन चार लड़के काम पर रख लिए थे मेरा काम अब बहुत अच्छी तरीके से चलने लगा था। एक दिन मैं दुकान में ही था और उस दिन मुझे मेरी मां का फोन आया और वह कहने लगी तुम्हारे पापा की तबीयत ठीक नहीं है तो क्या तुम उन्हें डॉक्टर के पास ले जाओगे.

मैं तुरंत ही घर चला गया और वहां से अपने पापा को डॉक्टर के पास लेकर गया. mechanic ne choda

जब मैं पापा को डॉक्टर के पास ले गया तो उन्होंने कहा इनका ब्लड प्रेशर थोड़ा हाई है आपको उनका ध्यान रखना चाहिए परंतु मुझे क्या पता था कि वह खाने में बिल्कुल भी परहेज नहीं कर रहे हैं जिस वजह से उनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बड़ने लगा है।

मैंने उस दिन अपनी मां से कहा कि आप इन्हें खाने में अब हल्का ही खाना दिया कीजिए उसके बाद पापा की तबीयत ठीक रहने लगेगी लेकिन मुझे हमेशा चिंता सताती रहती और एक दिन मैं गैराज में बैठा हुआ था तो उस दिन मेरे पास एक महिला आई वह मुझे कहने लगी भैया मेरी कार स्टार्ट नहीं हो रही है तो क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं?

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मैंने उन्हें कहा मैडम आपकी कार कहां पर है तो वह कहने लगी यहां से करीब दो किलोमीटर आगे मेरी कार है मैंने उन्हें कहा ठीक है आप मेरे साथ चलिए। मैं उन्हें अपने साथ अपने स्कूटर में लेकर उनकी गाड़ी तक चला गया मै उनकी गाड़ी को खोल कर देखने लगा तो गाड़ी में काफी काम था, मैंने कहा मैडम मैं देखता हूं यदि यह ठीक हो गई तो हम लोग इसे स्टार्ट कर के मेरी दुकान तक ले चलेंगे और वहां पर मै इसका काम करवा देता हूं और यदि यह स्टार्ट नहीं हो पाई तो हमें यहां से किसी गाड़ी से इसे खिंचवा कर ले जाना पड़ेगा..

वह कहने लगी ठीक है भैया आप देख लीजिए जैसा आपको ठीक लगता है। mechanic ne choda

मैं उनकी कार को देखने लगा लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें क्या दिक्कत है परंतु जैसे ही उनकी कार स्टार्ट हो गई तो मुझे लगा चलो अब मैं इसे अपने गैराज तक लेकर चलता हूं मैं जैसे ही कार के अंदर बैठा तो कार दोबारा से बंद हो गई और उसके बाद कार स्टार्ट ही नहीं हुई, मैंने अपनी दुकान में फोन किया और अपनी दुकान में काम करने वाले लड़के से कहा तुम वहां से किसी छोटे ट्रक को भेज देना ताकि हम इस कार को ले जा सके वह कहने लगा मैं कुछ समय बाद भिजवा देता हूं तब तक आप वहीं पर रहिये मैंने उसे कहा कि तुम तब तक दुकान का काम संभाल लो।

मैं और वह महिला वहीं खड़े होकर ट्रक का इंतजार करने लगे लेकिन ट्रक अभी तक नहीं आया था। मैंने मैडम से कहा मैडम आप कार मे बैठ जाइए वह कहने लगी नहीं मैं ठीक हूं लेकिन कुछ देर बाद वह कार में बैठ गई। मैं भी कार में जाकर बैठ गया मैंने जब उनसे उनका नाम पूछा तो वह कहने लगी मेरा नाम शिल्पा है, मैंने उन्हें कहा आप कहां रहती हैं तो उन्होंने मुझे अपने घर का पता बता दिया।

हम दोनों बात करने लगे.. mechanic ne choda

मैंने जब उनकी जांघ पर अपने हाथ को रखा तो शायद उन्हें कुछ अजीब सा महसूस हुआ उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहने लगी मैंने सुना है जो मैकेनिक होते हैं उनके लंड बड़े ही मोटे होते हैं यह कहते ही उन्होंने मेरे लंड को दबाना शुरू कर दिया, जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को पैंट के अंदर से बाहर निकाला तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में बड़ी तेजी से लेने लगी और उन्हें बहुत अच्छा लगने लगा।

वह काफी देर तक ऐसा ही करती रही मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैंने भी उनके स्तनों को उनके कपडो से बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगा। मैंने काफी देर तक उनके स्तनों को चूसा उनको बहुत मजा आया जब मैं पूरी तरीके से संतुष्ट हो गया तो मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया। मैंने कार के अंदर ही उन्हें घोड़ी बना दिया था, उसके बाद मैंने उन्हें चोदना शुरू किया मैंने काफी देर तक उन्हे बड़े ही अच्छे से धक्के मारे जिससे कि उनका पूरा शरीर गरम हो जाता और उन्हें बहुत मजा आता। जब वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई तो वह मुझे कहने लगी मुझे तो बहुत मजा आ गया।

मैंने कहा आप मेरे ऊपर बैठ जाइए.. mechanic ne choda

उन्होंने अपनी मोटी गांड को मेरे लंड पर रखा और वह उसे ऊपर नीचे करने लगी। मुझे भी मजा आने लगा था मैं काफी देर तक उन्हें धक्के मारता रहा उन्होंने भी ऐसा ही किया लेकिन जब अचानक से मेरा लंड उनकी गांड में घुस गया तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड मेरी गांड में चला गया। मैंने कहा कोई बात नहीं आप अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करते रहिए उन्होंने ऐसा ही किया और बड़ी तेजी से वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करने लगी जिससे कि उनके शरीर की गर्मी में दोगुनी बढोतरी हो गई और मुझे भी बहुत मजा आने लगा।

मैं काफी देर तक उनके साथ ऐसा ही करता लेकिन मेरा वीर्य गिरने वाला था जब मैंने उनसे यह बात कही तो उन्होंने अपने मुंह में मेरे वीर्य को ले लिया। उनके साथ मुझे सेक्स करने में बड़ा मजा आया, उसके बाद ट्रक आ गया ट्रक से हम लोगों ने उनकी गाड़ी को बांध दिया और हमारे गैराज में मैंने उनकी गाड़ी ठीक कर दी उसके बाद वह वहां से चली गई लेकिन अब भी वह मेरे पास गाड़ी ठीक कराने आती है।