ससुराल वालों की खातिरदारी

Sasural Walon Ki Khatirdari xxx बात जनवरी २००९ कि है जब मेरी सासु जी और साली साहिबा मेरे यहाँ आई और शिर्डी साईं बाबा के दर्शन कि इच्छा जाहिर किया तो मैं और मेरी पत्नी ,सासु ,साली जी शिर्डी के लिए चल दिए ,दिब्या कि उम्र ३० साल के आसपास होगी जबकि मैं करीब ४२ साल का हु ,दिब्या बहुत ही आधुनिक खयालात कि और बहुत ही सुन्दर हल्की सा सावला रंग , गोल मटोल चेहरा ,मांसल सरीर गदराया वदन ,हमेशा ही कट बाह, बड़े गले का टाइट ब्लाउज पहनती है..

जब भी मैं ससुराल जाता हु दिब्या बहुत आव भगत करती है मेरा, एकात बार तो मेरे साथ बाइक में घूमेने भी जा चुकी है बाजार में काफी घुली मिली रहती है साली साहिबा को एक लड़का भी है करीब १८ माह का उसके कारण कई बार कार को रस्ते में रोकना पड़ा इस कारण हैम थोड़ा लेट हो गए और करीब ९ घंटे का सफ़र करने के बाद हम साम को ८ बजे शिर्डी से १८ किलोमीटर पहले एक छोटे से कसबे में एक होटल में रुक गए क्योकि शिर्डी में होटल बहुत महगे है होटल में हमें दो डबल बेड वाला रूम लिया हैम सभी ने खाना खाया और रात के ९ बजे के लगभग सोने कि तैयारी करने लगे..

एक बेड में मैं लेट गया और एक बेड ये तीनो (सासु जी और मेरी साली और पत्नी) मेरी पत्नी अपने माँ के कारण सरम के मारे मेरे साथ नहीं सोई और साली व सासु को मेरे साथ सोने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता मैंने तो कम्बल ओढ़ा और सो गया क्योकि जनवरी का महीना था और ठण्ड अच्छी पड़ रही थी |

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रात में करीब ११.३० बजे मेरी नीद खुल गई क्योकि साली का लड़का रोने लगा क्योकि तीन तीन ओरते सोई थी इस कारण जगह कि कमी पड़ती थी बालक इस कारन रोने लगा तो मेरी सासु माँ ने मेरी पत्नी से कहा कि जा सो जा उस पलंग में यहाँ जगह कम है तो मेरी पत्नी ने मन कर दिया क्योकि कि ओ बहुत गहरी नीद में थी और ओ जब नीद में होती है तो जल्दी से नहीं उठती मेरी पत्नी ने साली को बोला कि दिब्या तू जा ना क्यों परेसान कर रही है प्रज्वल {साली के लड़के का नाम प्रज्वल है}को साली ने थोड़ा ना नुकूर करने के बाद करीब ११.४५ पर मेरे बेड पर आ गई मैं तो जाग गया था पर सोने का नाटक कर रहा था |

दिब्य ने हैम दोनों के बीच में अपने लड़के को सुला दिया और अपने कम्बल के साथ लड़के के साथ सोने लगी पर मैं जान बूझकर बीच बीच में उसके लड़के को करवट लेने के बहाने उसे दबा देता तो ओ रोने लगता कई बार ऐसा करने पर तो दिब्या ने लड़के को दूसरे किनारे पर लिटा दिया और फिर मेरे तरफ तरफ घूम कर सोने लगी मैं करीब रात में १.३० पर दिब्या को अपने कम्बल में ओढ़ा लिया और धीरे से बोला कि इतना नाटक क्यों कर रही थी पहले ही मेरे पास आ कर सो जाना था तुम मेरी पत्नी हो इसमें क्या संकोच था अब दिब्या तो सोयेगी नहीं मेरे साथ फिर इतना नाटक करने कि क्या जरुरत थी |

ये सब मैं जान बूझकर दिब्या से कह रहा था जिससे दिब्या ये समझे कि मैं उसे अपनी पत्नी समझ रहा हु दिब्या ने कोई जबाब नहीं दिया और चुपचाप कम्बल के नीचे सोई रही तो मैं कुछ देर बाद दिब्या को अपनी तरफ खीच लिया और कमर में हाथ डाल कर सीने से लगा लिया और बीच बीच में दिब्या के स्तनो को दबाने लगा दिब्या ने कोई बिरोध नहीं किया पर हलके से मेरे हाथ को अपने स्तन से हटा देती थी फिर मैं वापस स्तनो को दबाने लगता और मैं किस करने लगा दिब्या के होठो कि जोरदार किस करता और बीच बीच में दिब्या कि जीभ को अपने मुह में रख कर चूसने लगता अब दिब्या भी गर्म पड़ने लगी और अपने हाथ को मेरे कमर में डाल दिया और हलके हाथ से अपनी तरफ खीच लिया मैं समझ गया कि दिब्या को चुदाने का मन पड़ गया मेरे से पर उस समय कमरे में एक हल्का सा बल्ब जल रहा था हल्का सा उजाला था कमरे में मैं चुप चाप दबे पाँव उठा और उस बल्ब को भी बंद कर दिया अब कमरे में पूरा अन्धेरा छा गया
मोबाइल में देखा तो उस समय रात के २ बज रहे थे ,मैं वापस बिस्तर में आ गया और फिर से दिब्या के स्तन को दबाने लगा | पर मैं प्यूरी तरह से अनजान बना हुआ था मेरी नजरो में दिब्या मेरी पत्नी है और ये बात दिब्या भी समझ रही थी कि जीजा जी, जीजी समझ कर ये सब कर रहे है मैं मेरे नाटक में सफल हो रहा था ,मैं दिब्या कि साड़ी को जांघो से ऊपर खिसका दिया और जांघो को सहलाने लगा और धीरे से ब्लाउज और ब्रा का हुक खोल दिया तो स्तन आजाद हो गए तो मैं स्तनो को चूसने लगा

दिब्या अब मस्त गर्म पड़ गई सम्भोग के लिए ओ मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ लिया तो मैं दिब्या कि पेंटी को निकालने लगा तो दिब्या ने अपने हाथ से ही पेंटी को निकाल दिया अब मैं दिब्या कि चूत को सहलाने लगा मस्त चिकनी चूत थी एक भी बाल नहीं थे चूत में लगता है ओ मन बनाकर ही आई थी कि जीजा जी का लण्ड लुंगी | दिब्या के मुह से हलके हलके सी अस्स आस्स आ आ उ उउउ उउउ के आवाज आने लगी और मेरे लण्ड को बार बार दबाने लगी तो मेरा ९ इंची लण्ड तड़प उठा चूत का रस पीने के लिए ।

मैं दिब्या कि साड़ी को उतारने के लिए खीचने लगा तो दिब्या ने साडी को हाथ से से मैं समझ गया कि ये साडी नहीं उतरना चाहती है तो मैं पूरी साडी को पेट के ऊपर और पीठ के नीचे खिसका दिया और दिब्या के ऊपर लेट गया और धीरे से अपने लण्ड को दिब्या कि चूत में घुसेड़ने लगा तो दिब्या कि चूत टाइट है मैंने धीरे से दिब्या के कान में नाटक करते हुए कहा कि भब्या [ मेरी पत्नी का नाम भब्या है ] आज टाइट क्यों है तो दिब्या ने कुछ नहीं कहा और मेरे गाल पर किस लेकर जोर से चिपका लिया मैं धीरे धीरे दिब्या कि चूत में लंड घुसेड़ने लगा दिब्य कि चूत सच में टाइट थी जब पूरा लंड को घुसेड़ दिया तो दिब्या मेरे पोड में हाथ लगाकर अपनी तरफ खीचने लगी मैं समझ गया कि ये झटके चाहती है तो मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा बिना आवाज किये क्योकि मैं सोच रहा था कि कही मेरी पत्नी व सासु कि नीद नहीं खुल जाए |

मैं मजे से झटके मारते रहा दिब्या बड़े प्यार से मेरे मुह में ओठो में गालो में किस करती रही मैं बीच बीच में दिब्या के बड़े बड़े स्तनो को दबा देता कभी स्तनो को चूसने लगता दिब्या बड़े प्यार से चुदाती रही और दिब्या धीरे धीरे ऊऊऊऊऊआआआआसीएससी आह आह ऊ ऊ आए सी सी सी कि आवाज निकलती रही मैं झटके मरता रहा करीब ८ मिनट तक लगातार झटके खाने के बाद दिब्या सिथिल पड़ गई मैं समझ गया कि ये तो जहर चुकी है तो मैं जल्दी जल्दी झटके मारने लगा तो मैं भी स्खलित हो गया और ढेर सारा वीर्य दिब्या कि चूत में उड़ेल दिया

तो दिब्या जल्दी से उठी और बाथरूम में घुस गई तो मैं भी दबे पाँव पाँव बाथरूम में घुस गया तो देखा कि दिब्या पेसाब कर रही थी दिब्या कि चूत से पेसाब करने कि इस तरह से आवाज निकल रही थी स्सी स्सीस्सीस्सीस्सीस्सी जैसे ही दिब्या ने मुझे देखा तो साड़ी से अपना मुह ढक लिया और फिर पेसाब करके उठ गई तो मैं आस्चर्य भरी निगाह से दिब्या को देखने लगा और बोला कि ओह आप थी ,मैं तो सोचा कि तुम्हारी दीदी है और इतना कहने के बाद मैं दिब्या के मुह से कपड़ा हटा दिया और गाल में एक जोरदार किस किया और बोला कि बहुत मजे देती हो आप तो दिब्या कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा कर चली गई मैं भी पेसाब किया व मोबाइल कि घड़ी कि तरफ देखा तो रात के २ बजकर ४५ मिनट हो रहे थे मैं चुपचाप जा कर अलग अलग कम्बल में सो गया दिब्या ने अपने लड़के को बीच में सुला दिया और भी सो गई ,सुबह कब हो गई पता ही नहीं चला जब मेरी पत्नी ने पाँव पकड़ कर हिलाया तो नीद खुली उस समय पर ८ बज रहे थे पत्नी ने झुझलाते हुए बोली कि सोने आये हो या दर्शन करने तो मैं उठा और बैठ गया मेरी पत्नी और सास दोनों नहा कर कम्प्लीट थी…

सासु ने दिब्या को आवाज दिया तो ओ भी उठ गई और चौक कर इधर उधर देखने लगी और कहने लगी कि मैं इस बिस्तर पर कब आई माँ , तो सासु जी ने कहा कि रात में प्रज्वल रो रहा था तब मैंने तुझे यहाँ सोने के लिए कह दिया था तो दिब्या कुछ नहीं बोली और मेरी तरफ देखते हुए हसने लगी और मेरी पत्नी कि तरफ घूम कर बोली कि दीदी आज मैं तुम्हारी जहग आ गई , तो मेरी पत्नी बोली कि चल उठ बाते नहीं बना तैयार हो जा दर्शन नहीं करना है क्या फिर मैं और दिब्या दोनों जल्दी जल्दी तैयार हो गए और ९ बजे मंदिर के लिए निकल लिए और मंदिर में जाकर लाइन में लग गए करीब १० बजे दिब्या के लड़के ने लेट्रीन कर दिया तो दिब्या ने कहा कि अब कैसे दर्शन करू इसने अशुद्ध कर दिया तो मेरी पत्नी ने कहा कि जाओ इसे बाहर से साफ़ करवा लाओ तब मैंने पूछा कि कपड़ा लाइ हो इसका दिब्या तो बोली कि नहीं तो मैं मेरी पत्नी से बोला कि जब दूसरा कपड़ा नहीं है तो क्या करेगे ऐसे ही दर्शन कर लो कोई मूर्ति थोड़े ही छू रही हो तो मेरी पत्नी ने कहा नहीं आप जाओ होटल से फिर से इसके कपडे बदलवा कर लाओ तो मैंने बोला कि बहुत समय लग जयेगा तब तक तुम क्या करोगी तो पत्नी ने कहा कि मैं कई बार आ चुकी हु मम्मी को दर्शन कराकर मैं बाहर मिल जाउगी तब मैंने बोला टीक है और इतना कहकर बाहर निकल गया दिब्या को साथ में लेकर बाहर आने के बाद मैं एक केमिस्ट कि दूकान से वियाग्रा १०० पॉवर कि एक पैकेट और कंडोम खरीद लिया और एक गोली वही केमिस्ट कि दूकान में खा लिया और फिर

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