Dost ke biwi ki saath Suhagraat XXX kahani ये दास्ताँ है मेरे दोस्त की बीवी की चुदाई की.. मैं उस समय नॉएडा में पोस्टेड था. मेरे ऑफिस में एक प्रोजेक्ट मैनेजर था, सुमन. वो मेरे ही प्रोजेक्ट पर था इसलिए हमारे बिच अच्छी दोस्ती हो गयी थी. मेरे सीनियर था, भाग्य से वो भी मेरे ही सोसाइटी में रहता था. धीरे धीरे उसके घर मेरे आना जाना शुरू हो गया था. उसकी बीवी से भी मेरी खुब पटती थी. शादी नयी नयी हुई थी. इसलिए भाभीजी फुलटू माल थी.. लगभग ५ फुट ५ इंच की हाइट और फिगर ३४-३६-३४ का! गोरी चिट्टी से मस्त आइटम थी….
मेरे दोस्त ने नया नया फ्लैट ख़रीदा था और मैं क्लोज फ्रेंड होने के कारण वह इनवाइटेड था हाउस-वार्मिंग पार्टी में. भाभीजी, जिनका नाम श्वेता था, वो काफी चिपक रही थी.. मेरे दोस्त को कुछ सामान लाना था तो वो बाहर चला गया. उसने कहा तुम इधर ही बैठो. मैं उसके घर पर ही रुक गया और टीवी देख रहा था.. फिर अचानक मैंने सोचा की भाभी की कुछ मदद कर देता हु और मैं किचन में गया… भाभीजी फर्श की सफाई कर रही थी.. वो रेड कलर की मैक्सी पहनी थी और नीचे झुककर सफाई कर रही थी. मैंने जैसे ही उनकी तरफ देखा, वो मुस्कुराने लगी और बोली की क्या बात है देवरजी?
मैंने कहा की मैं खली बैठा था तो सोचा की आपकी ही मदद कर देता हु.. तो वो हंसने लगी..
फिर अचानक ही मेरी नज़र उनके फेस से निचे पहुंची तो मैं अवाक् रह गया.. उनकी मैक्सी के ऊपर का बटन खुला हुआ था और उसके अंदर से उनकी मस्त चूचियाँ दिख रही थी… गोल गोल मक्खन जैसी उजली चूचियाँ देख के मैं अवाक् रह गया… मेरा लंड तनक गया…
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भाभीजी शायद ताड़ गयी और उन्होंने अपनी मैक्सी का बटन ठीक कर लिया.. अब उनकी चूचियाँ नहीं दिख रही थी.. फिर वो अचानक से कड़ी हो गयीं और बोटी की आपको मेरी मदद करनी है तो मेरा बर्तन लगा दीजिये.. लेकिन बर्तन वाला रैक भी नहीं लगा था.. मैंने उनसे पुछा की बर्तन का रैक कहाँ है तो उन्होंने बताया के बगल वाले कमरे में है. मैंने कहा ठीक है, मैं ले आता हूँ..
फिर मैं बगल वाले रूम में गया तो भाभीजी भी आ गयीं… बोली – रैक बहुत ऊँचा है.. आप चेयर ले लीजिये… मैं उसको पकड़ लुंगी.. फिर मैं चेयर पर चढ़ कर उनके बर्तन वाला रैक उतरने लगा.. भाभीजी ने चेयर ज़ोर से पकड़ा था सटकर… धीरे धीरे वो मेरे और खरीद सटती जा रही थी.. कुछ देर बाद ही उनकी चूचियाँ मेरे पीठ पर सटने लगीं… दोस्तों मेरा ८ इंच लम्बा लंड खड़ा हो गया.. भाभीजी की चूचियाँ अब पूरी तरह से मेरे पीठ में रगड़ खा रहीं थी.. और मेरी हालत ख़राब हो रही थी… किसी तरह अपने ऊपर कण्ट्रोल करके मैंने बर्तन वाला रैक उतार लिया…
फिर मैं जैसे ही चेयर से उतरने के लिए मुडा तो मेरा पैर स्लिप कर गया और मैं फिसल गया.. भाभी पीछे कड़ी होकर मुझे पकड़े हुए थी तो उन्होंने मुझे बचने की कोशिश की.. मेरे हाथ से बर्तन का रैक छूट कर निचे गिर गया.. भाभी मेरे सामने कड़ी थी तो उन्होंने रोकने की कोशिश की और मैं उनकी बाँहों में हो गिरा… उन्होंने कस कर मुझे पकड़ा ताकि मैं गिरूं नहीं.. इसी कोशिश में मैं उनसे गले मिलने की पोजीशन में आ गया और उनसे पूरी तरह चिपक गया.. उनकी चूचियाँ अब मस्त मुझसे चिपकी हुई थी.. दोस्तों मैं तो जैसे सातवे आसमान पर था.. मेरा लंड जो अभी तक खड़ा था वो भी फुल फॉर्म में आ चूका था…
भाभी ने मुझे ज़ोर से भींच लिया और कहा – राजीव आप ठीक हो?
मैं कहाँ ठीक था यारों.. लेकिन मैंने सर हिलाया… तब भाभी ने पकड़ के मुझे बगल के बेड पर बिठा दिया.. मेरे पूरे शरीर में मानो बिजली दौड़ गयी हो… फिर कुछ देर बाद मैं नार्मल हो गया तो बर्तन का रैक उठाकर उनके किचन में फिट करने चला गया…
जैसे ही मैं कील ठोक कर बर्तन का रैक को फिट करने चला, तो भाभी ने फिर से पीछे से आकर पकड़ लिया और बोला – कहीं आप फिर से ना गिर जाओ…
फिर उनकी चूचियां मेरे पीठपर टकराने लगीं और मेरा लंड एक्ससिटेमेंट में पैंट फाड़ने के लिए तैयार हो गया.. फिर मैं जैसे ही बर्तन के रैक को फिट करके पीछे मुडा तो भाभी पीछे हो खड़ी थी. एक बार फिर आमने-सामने की टक्क्रर हो गयी। इस बार उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकराई और मेरा लंड उनके कमर के निचे.. भाभी ने एक कातिलाना स्माइल दी.. उसके बाद मेरा फ्रेंड आ गया और फाइनली उनकी फंक्शन स्मूथली ख़त्म हो गयी..
लगभग चार दिन के बाद सुमन ने अपने केबिन में मुझे बुलाया और कहा – राजीव, मुझे अर्जेंट काम से बॉम्बे जाना है एक दिन के लिए.. मैं कल यानी गुरुवार को जा रहा हूँ और शनिवार को वापस आ जाऊंगा, तब तक तुम प्रोजेक्ट का ध्यान रखना..
मैंने कहा ठीक है.. फिर जैसे ही मैं उसके केबिन से बाहर निकल रहा था तो उसने कहा – सुन तेरी भाभी भी अकेली रहेगी, उसे भी ऑफिस के बाद मिल लिया करना..
भाभी का नाम सुनते ही मेरे दिल में गुदगुदी होने लगी..
उस दिन रात भाई मैंने श्वेता भाभी के नाम पर ४-५ बार मुठ मारी… फिर मैंने सोचा, कहीं सच में अवसर मिल जाए तो.. तो मैंने सरसो के तेल से अपने लंड की मालिश की और उसको मोटा बना लिया.. उसका साइज थोड़ा बढ़ ही गया था.. लगभग ८. ५ इंच! दूसरे दिन ऑफिस में मेरा मन एकदम नहीं लग रहा था.. मन कर रहा था जल्दी से भाभी के पास पहुँच जाऊं.. आखिरकार शाम को ६:३० में ही मैं ऑफिस से निकल गया…
६:५० तक मैं भाभी के सोसाइटी में था.. मैंने दरवाज़े की बेल बजायी.. ५ मिनट के बाद श्वेता भाभी ने दरवाज़ा खोला.. लोहे के दरवाज़े के पीछे से, मुझे देखते ही खुश हो गयी – अरे राजीव… आइये…
फिर उसने लोहे का जालीदार दरवाज़ा खोला..
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मैं घर में घुसते हो बोला – सर ने आपसे मिलकर पूछने के लिए बोला था, अगर आपको कुछ चाहिए तो..
तो उसने स्माइल देकर कहा – अच्छा ठीक है.. ऑफिस से आ रहे हैं तो थोड़ा आराम कर लीजिये, फिर बताउंगी..
श्वेता भाभी ने एक पिंक कलर का सलवार-कमीज पहन रखा था.. वो पूरा टाइट फिट था.. वो ऊपर से नीचे तक क़यामत लग रही थी..
उसने कहा – आप बैठो, मैं चाय बनती हूँ.. मैंने कहा नहीं भाभी, आप क्यों परेशान होती है… कुछ सामान लाना है तो बता दीजिये, जल्दी से ला दूंगा..
तो श्वेता भाभी ने कातिलाना अंदाज़ में अंगड़ाई लेते हुए कहा – अभी इतना भी क्या जल्दी है देवरजी, अभी तो पूरी रात बाकी है..
मैं अंदर से खुश हो गया. फिर भाभी चाय बनाने चली गयी. लेकिन मेरा एक्ससिटेमेंट से बुरा हाल हो रहा था. मन कर रहा था की बस दबोच के चोद डालूं. लेकिन फिर भी मैंने कण्ट्रोल रखा. मैं उनके बाथरूम में फेसवाश करने गया. हाथ मुंह धोने के बाद मैंने टॉवल ढूंढा तो वो नहीं था..
मैंने निकलकर भाभी से पुछा, तो स्माइल देते हुए बोली – हाँ आज देर से सूखने के लिए डाला है…
और फिर उसने अपना दुपट्टा उतारते हुए कहा – तक तक अप्प इससे काम चला लो.
अब भाभी की चूचियाँ साफ़ दिख रही थी. गोल-गोल और पूरी पुष्ट! मैंने दुपट्टा लेने के लिए किचन में चला गया और उनके बगल में ही अपना मुंह पोछने के बाद खड़ा हो गया. उनके दुपटे को अपने गले में लपेटकर.. अब मैंने और भाभी किचन में खड़े थे, लेकिन वो मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी और ज़ोर-ज़ोर से साँस ले रही थी, जिसके कारन उसकी चूचियाँ भी ऊपर नीचे हो रहे थीं… मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रखा था. फिर भाभी कुछ लेने के लिए पलटी तो उनकी चूचियाँ मेरे कंधे से टच हुईं.. अब मैंने एक हाथ से उनको पकड़ लिया.. उन्होंने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन बच बोला नहीं…
मैंने उनको खींच कर अपने और करीब कर लिया.. अब वो पूरी तरह से शांत थी.. कोई प्रतिरोध नहीं था लेकिन आँखें झुकी हुई थी. मैंने उनकी ठुड्डी की पकड़ के उनका चेहरा सीधा किया लेकिन फिर भी वो नज़र नहीं मिला रही थी. फिर मैंने उनको थोड़ा और खरीद खींचने को कोशिश की – तो भाभी ने झट से अपने आप को मेरे बाँहों से अलग कर कहा – ये सब क्या है राजीव?
मैंने कहा – प्यार, मैं आपको बहुत प्यार करने लगा हूँ.
तो वो हांसे लगी, बोला मैं – आपके प्यार के मतलब समझती हूँ, और अभी फ़ोन लगाउंगी आपके भाई को जिसने आपके ऊपर विश्वास करके भेजा है मेरे पास…
यारों, मेरी तो जान ही निकल गयी. लगा मेरे ऊपर किसीने १० घड़ा ठंडा पानी दाल दिया हो. मेरा एक्ससिटेमेंट तो जैसे पल भाई में ही काफूर हो गया. भाभी ने दूसरे रूम में जाकर अपना फ़ोन भी उठा लिया. मैं उनके पीछे गया और बोला – की आप तो बुरा मान गयी.. मेरा कोई गलत इंटेंशन नहीं था. मैं तो आपका बहुत बहुत रेस्पेक्ट करता हूँ.
तो भाभी ने फ़ोन रख दिया… और हँसते हुए बोली – बस एक धमकी में प्यार का भूत उतर गया?
मैं अवाक् रह गया.. एक पल के लिए मतलब नहीं समझ पाया…
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तब फिर भाभी ने कहा – मैंने तुमको पहले ही दिन समझ गयी थी, जब तू जान बूझकर मेरे ऊपर गिरा था..
फिर मैंने भाभी को बाँहों में उठाकर भींच लिया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया.. कुछ देर के बाद भाभी भी मेरे होंठों को चूसने लगी और मुझमे और घुसती जा रही थी.. लगभग १५ मिनट तक हम लोगों ने एक दूसरे के होठों को जमकर चूसा.
फिर भाभी बोली – मै तो तुम्हारे लंड की दीवानी हूँ.. उस दिन टच किया था, आज चूसूंगी..
मैंने कहा – सच?
तो भाभी ने बोला – हाँ! आज तेरे लवडे की खैर नहीं..
फिर मैंने भाभी को उठाकर बेड पर रख दिया.. भाभी भी मुझे कर कर भींचे हुए थी और छोड़ने का नाम हो नहीं ले रही थी.. मैंने भाभी के पूरे फेस पर किस करना शुरू किया.. इसी दरमियाँ मैंने भाभी का कमीज भी खिंच कर ऊपर कर दिया था..
फिर मैंने ब्रा का हुक भी खोल दिया और भाभी की मस्त चूचियों से खेलने लगा. यारों! मैं बयान नहीं कर सकता हूँ.. चूचियों की खूबसूरती… पूरी मक्खन.. मैं तो पूरा बच्चा बन गया था.. भाभी के निप्पल्स को मुंह में लेकर चूस रहा था.. और भाभी मदमस्त आवाज़ें निकाल रही थी.. आह्हः… ऊह्ह्ह्ह… यू… फकर.. आहह.. काट खायेगा क्या?
अचानक भाभी ने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी.. उसने बारी बारी से मेरे शर्ट के सारे बटन खोल दिए.. मेरी गंजी भी निकाल दी.. फिर वो मुझे चूमने लगी.. माथे से लेकर नाभि तक! जैसे ही वो निचे पहुंची, उसने मेरे पेंट का हुक भी एक झटके से खोल दिया और पेंट बहार निकाल दिया.. अब मैं अंडरवियर में था.. मेरा मोटा लंड अंडरवियर के पीछे से ही फाड़ने के लिए तैयार दिख रहा था..
भाभी ने मेरा अंडरवियर भी एक झटके में निकाल दिया. अब मैं पूरा नंगा था. भाभी ने एक बार फिर से पैर से चूमना शुरू किया.. लंड को उसने हाथ से कसकर पदक हुआ था.. फिर जैसे ही वो लंड के पास आयी, उसने लंड को मुंह में ले लिया.. लेकिन पूरा लंड उसके मुंह में नहीं जा पा रहा था… वहीँ से उसने मेरे लंड को अपने जीभ से चूसना शुरू कर दिया,…
यारों! अब आवाज़ जी बारी थी.. मैं बेड पर उछल था था.. और वो मज़े ले रही थी.. लगभग १० मिनट में मैं भाभी के मुंह में ही झड़ गया… और मेरा लंड छोटा हो गया…
अब भाभी ने एक बार फिर से मेरे होंठों में अपने होंठ दाल दिया और स्मूच करने लगी… इससे लंड तुरंत ही फिर से टाइट हो गया. अब भाभी टाँगे खोल कर मेरे जांघ के नीचे बैठ गयी.. उसने अपने बुर को आगे किया और मेरे लंड को अपने बुर में घुसाना चाहा… लेकिन उसके छेद में मेरा लंड नहीं घुस पा रहा था.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था…
मैंने अब भाभी को निचे गिरा दिया और तुरंत उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूचियों को कस कर चूसना शुरू क्या.. ५ मिनट के बाद मैंने भाभी के जांघों को फैला दिया और अपना लंड धक्का देकर घुसाना चाहा.. लेकिन तो कराहने लगी…
भाभी बोली – फट जायेगा…! तेरे नामर्द बॉस का तो ४ इंच का ही है, साला नामर्द…
फिर मैंने अपने मुंह भाभी के बुर के पास ले जाकर ढेर सारा थूक बुर के मुंह के पास लगाया.. उसके बाद मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने दोनों कन्धों पर रखा और ज़ोर से अपना लंड बुर में घुसेड़ा.. इस बार आधा लंड जाने के बाद रुक गया..
भाभी दर्द से बिलबिला उठी – फट जाएगा राजीव!!!
मैंने कहा – कुछ नहीं होगा.. आप थोड़ा पेशेंस रखो.. बहुत मज़ा आएगा…
अब मैं धीरे धीरे अपना लंड अंदर बहार करने लगा. भाभी की हालत ख़राब थी.. उसने अपनी आखें मूँद ली थी और होंठों को दांत से दबा के रखा था.. लगभग ५ मिनट तक लंड आगे-पीछे करने के बाद भाभी की बुर में थोड़ा गीलापन लगने लगा था…
अब दर्द भी पहले से कम था.. इस बार मैंने फिर से शॉट मारा.. तो पूरा लंड अंदर घुस दया.. भाभी दर्द के मारे चीख उठी – आह्ह्ह्हह्ह!!!! फट गया!!!!
सच में, बुर का आगे का हिस्सा बहुत ज़्यादा टाइट था.. वह लंड अच्छे से आगे पीछे नहीं हो पा रहा था,…
मैंने झट से अपना लंड निकाला और भाभी ने बुर में अपने मुंह घुसा दिया.. भाभी अब उछलने लगी.. लगभग १० मिनट तक मैंने भाभी की चुदाई अपने जीभ से की… उसके बाद भाभी ने अपने दोनों जांघो के बिच में मेरा सर जकड लिया.. और अपना पानी छोड़ दिया…
फिर बोली – आज लाइफ में पहली बार मैं झड़ी हूँ.. नहीं तो सुमन मादरचोद को खुद ३-४ बार झड़ जाता है लेकिन मेरा कुछ नहीं कर पाटा है..
अब भाभी का बुर अच्छा ख़ासा गीला हो चूका था. मैं फिर जांघों के पास बैठा और भाभी को पैर फैला कर ज़ोरदार शॉट मारा.. और पूरा लंड अंदर..!!
भाभी बेड से उछाल कर मुझसे चिपक गयी.. उसकी चूचियां लग रहा था जैसे मेरे अंदर घुस जाएंगी और स्मूचिंग तो लगातार जारी था.. इस बार हम लोगों ने जमकर चुदाई की…
भाभी ने भी अपनी कमर उठा उठाकर मेरा भरपूर साथ दिया. लगभग २५ मिनट चुदाई करने के बाद मैं भाभी के बुर में ही झड गया.. लेकिन मेरा लंड अभी वैसे का वैसे ही था.. अब बुर में और पानी हो गया था.. और चुदाई में और ज़्यादा मज़ा आ रहा था.. इसलिए मैंने चुदाई रोकी नहीं और और चोदता था… बिच-बिच में भाभी कभी अपने जांघों को सटा लेती थी.. कभी मैं उसके जांघों को अपने कंधे पर रख लेता था.. ऐसे ही लगभग १ घंटे के बाद मैं फिर से झड़ गया एयर भाभी भी झड़ गयी..
अब लंड महाराज ८.५ इंच से ३ इंच के हो चुके थे.. मैं अपना लंड बुर से बाहर निकाल रहा था तो भाभी ने कहा – इसी में डाले रखो.. बहुत अच्छा लग रहा है..
हम लोग उसे पोजीशन में सो गए..
रात में मेरी जब नींद खुली तो रात के १ बज चुके थे.. भाभी बेसुध हो कर सोयी थी..
मैंने कहा – बहुत रात हो गयी है, मैं अपने घर जाऊं क्या?
तो भाभी ने अपने ऊपर फिरसे खींचकर सुला लिया और बोली – अब तो सुमन के आने के बाद ही तुम यहाँ से जाओगे.. आधे घंटे रुको, मैं खाना बनती हूँ… फिर मैं तुमको फिर से खाउंगी…
दूसरे दिन मैंने ऑफिस से मेडिकल लीव् ले लिया और मैंने और श्वेता भाभी ने जमकर सेक्स का आनंद उठाया..