सविता भाभी की गुलाबी चूत

मैंने सविता भाभी को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उनकी दोनों टाँगों को ऊपर उठा कर घुटने से मोड़ दिया। मैंने उनके बेड पर से दोनों तकियों को उठा कर उनके चूत्तड़ के नीचे रख दिया और ऐसा करने से उनकी चूत और ऊपर हो गयी और उसका मुँह बिल्कुल खुल गया। फिर मैंने अपने लंड का सुपाड़ा खोल कर उनकी चूत के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे उनकी चूत से रगड़ने लगा। सविता भाभी मारे चुदास के अपनी कमर नीचे-ऊपर कर रही थीं और फिर थोड़ी देर के बाद बोलीं, “साले बहनचोद, मुफ़्त में गैर-औरत की चूत चोदने को मिल रही है इस लिए खड़ा लंड मेरी चुदासी चूत को दिखा रहा है और उसको चूत के अंदर नहीं पेल रहा है। साले भोंसड़ी के गाँडू, अब जल्दी से अपना मूसल जैसा लंड चूत में घुसा नहीं तो हट जा मेरेऊपर से। मैं खुद ही एक बैंगन चूत में डाल के अपनी चूत की गरमी नकालती हूँ।”

तब मैंने उनकी चूंचियों को पकड़ कर निप्पल को मसलते हुए उनके होठों को चूमा और बोला, “अरे मेरी सविता रानी, इतनी भी जल्दी क्या है? ज़रा मैं पहले तुम्हारे इस सुंदर बदन, सुंदर चूंची और सबसे सुंदर चूत का आनंद उठा लूँ, उसके बाद फिर तुम्हें जी भर कर चोदूँगा। मैंने अब तक अपनी ज़िंदगी में इतनी सुंदर औरत नहीं देखी है। फिर इतना चोदूँगा कि तुम्हारी यह सुंदर सी चूत लाल पड़ जायेगी और सूज कर पकौड़ी हो जायेगी।”

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सविता भाभी बोलीं, “साले चोदू, मेरी जवानी का तू बाद में मज़ा लेना। उसके लिए अभी पूरी रात पड़ी हुई है, अभी तो बस मुझे चोद। मैं मरी जा रही हूँ, मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं और वोह तेरे लौड़े के धक्के से ही जायेंगी। जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे, प्लीज़।” savita bhabhi

सविता भाभी की यह सब सैक्सी बातें सुन कर मैं खुश हो गया और समझ गया कि अब सविता भाभी मेरे लंड से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। मैंने अपना सुपाड़ा उनकी पहले से भीगी चूत के मुँह के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपाड़े को अंदर कर दिया। सविता भाभी ने मेरे फूले हुए सुपाड़े के अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटके से ऊपर को उछाला और मेरा आठ इंच का लंड पूरा का पूरा उनकी चूत में घुस गया।

तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोलीं, “आहह! क्या सुकून मिला तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डलवाकर। रजत अक्सर तुम्हारी बातें किया करता था और जब से उसने तुम्हारे लंड की तरीफ़ की है, मैंने तब से तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेने के लिए मन ही मन ठान लिया था। आज रजत सिंगापुर चला गया, यह अच्छा हुआ नहीं तो मेरी तमन्ना पूरी नहीं होती।”

अब मैं अपना लंड धीरे-धीरे उनकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा। उन्होंने अपनी चूत में कभी इतना मोटा लंड पहले घुसेड़ा नहीं था, इसलिये उन्हें कुछ तक्लीफ़ हो रही थी। मुझे भी उनकी चूत काफी टाईट लग रही थी और मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा। सविता भाभी मेरी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ा रही थी, “हाय! मेरे योगेश… मेरे राजा…. और पेल… और पेल अपनी भाभी की चूत में अपना मोटा लंड… तेरी भाभी की चूत तेरा लंड खाकर निहाल हो रही है। हाय! लम्बे और मोटे लंड की चुदाई कुछ और ही होती है। बस मज़ा आ गया। हाँ… हाँ, तू ऐसे ही अपनी कमर उछाल-उछालकर मेरी चूत में अपना लंड आने दे। मेरी चूत की फिक्र मत कर। फट जने दे उसको आज। मेरी चूत को भी बहुत दिनों से शौक था मोटा और लम्बा लंड खाने का। उसको और जोर-जोर से खिला अपना मोटा और लम्बा लंड।”

मैं भी जोर-जोर से उनकी चूत में अपना लंड पेलते हुए बड़बड़ा रहा था, “हाय! मेरी सविता रानी, ले! ले! और ले… जी भर कर खा अपनी चूत में मेरे लंड की ठोकर। मेरी किस्मत आज बहुत अच्छी है, जो मैं तुम्हारे जैसी सुंदर औरत की चूत में अपना लंड घुसेड़ कर चोद रहा हूँ। क्या मेरी चुदाई तुम्हें पसंद आ रही है? सही-सही बताना, क्यों मैं अच्छा चोदता हूँ तुम्हारी रसीली चूत, या रजत?” savita bhabhi

सविता भाभी बोलीं, “हाय योगेश अब मैं तुमको क्या बताऊँ, मैं तुम्हरी चुदाई से बेहद खुश हूँ। हाँ रजत भी मुझको जी-भर कर चोदता है। लेकिन तुम्हारे और रजत की चुदाई में बहुत फर्क है। रजत रोज सोने से पहले बिस्तर पर लेट कर झट से मुझे नंगी करके मेरी टाँगों को उठाता है और अपना लंड मेरी चूत में पेलता है। उसको इस बात का एहसास नहीं होता है कि औरत गरम धीरे-धीरे होती है। लेकिन वो चोदता बड़ा ही मन लगा कर है। मुझे लगता है कि तेरा लंड खाने के बाद मेरी चूत रजत का लंड खाना पसंद नहीं करेगी। क्योंकि तुम्हारे लंड से मेरी चूत अब फैल जायेगी और उसमें रजत का पतला और छोटा लंड ढीला-ढीला जायेगा जिससे कम से कम मुझको तो मज़ा नहीं अयेगा।”

“भाभी सही सही बताना, तुमने शादी के पहले भी किसी और के लंड को अपनी चूत में घुसाया है कि नहीं?”

“हाँ मेरे जीजा जो कि आजकल जर्मनी में रहते हैं, उन्होंने मुझको मेरी शादी से पहले भी चोदा है। लेकिन उनके लंड की चुदाई मुझको पसंद नहीं आयी।”

“क्यों?” savita bhabhi

“अरे उनका लंड बहुत छोटा और पतला है, लेकिन वो मुझे चोदने के पहले और चोदने के बाद खूब चूत चाटा और चूसा करते थे और उनकी चूत चुसाई अच्छी लगती थी। वो अब जब भी इंडिया आते हैं तो मेरी चूत जरूर चूसते हैं। उनके अलावा कॉलेज के ज़माने में कई लंड लिये हैं…. उस दिन जो ऑर्गी पार्टी की कहानी मैंने सुनायी थी वोह मेरी सहेली की नहीं बल्कि मेरी खुद की थी।”

यह सब बातें करते-करते हम लोग चुदाई का मज़ा लेते रहे और मेरी चुदाई से सविता भाभी दो बार झड़ीं और फिर मैं भी उनकी चूत के अंदर झड़ गया। फिर मैं दो दिन वहाँ रुका रहा। इन दो दिन हम सिर्फ़ खाना खाने के लिए घर के बाहर जाते थे और बाकी समय घर के अंदर नंगे ही रहते थे। सविता भाभी को नंगी होकर चाय नाशता बनाना बहुत अच्छा लगत था और इसलिये वो सारे समय घर के अंदर नंगी ही घूमती थीं। इन दो दिनों में सविता भाभी ने मुझसे कई बार अपनी चूत में मेरा लंड डलवा कर अपनी चूत चुदवायी और मैं भी खूब मज़े ले-ले कर उनकी चूत चोदता रहा। हमलोगों ने उनके घर के हर कोने में… लेट कर, बैठ कर, आमने-सामने घुटनों के बल बैठ कर, भाभी को अपने ऊपर चढ़ा कर, खड़े-खड़े आमने सामने से और कभी उनके पीछे से, बाथरूम में शॉवर के नीचे और यहाँ तक कि टॉयलेट में कमॉड के ऊपर बैठ कर, भाभी को गोदी में उठाये चुदाई की। भाभी ने हर वक्त दिल खोल कर चुदाई में मेर सहयोग दिया।

दिल्ली लौटने से पहले एक दिन मैं मार्केट गया और उनके लिए एक खूबसूरत साड़ी और ज्वेलरी खरीदी और उन्हें प्रेज़ेंट दी और बोला, “यह आपकी शादी का तोहफ़ा है, प्लीज़ इसे स्वीकार कीजिए।”

भाभी बोलीं, “अरे मुझको तो मेरा तोहफ़ा मिल गया है और मुझे कुछ नहीं चाहिए। हाँ, अगर देना ही चाहते हो तो आज रात मेरी गाँड में लंड पेल कर मेरी गाँड की चुदाई करो। बस मुझे अपना तोहफ़ा मिल जायेगा।” savita bhabhi

मैं भाभी के मुँह से यह बात सुन कर बोला, “हाँ, भाभी मुझे भी आपके गद्देदार चूत्तड़ देख-देख कर आपकी गाँड मारने का मन कर रहा था। लेकिन मैं चुप था कि कहीं आपको मेरी बात का बुरा ना लगे और आप अपनी चूत भी मुझको ना दें।”

भाभी बोली, “हाय रे बेवकूफ, तुमको अभी भी लग रहा है कि मैं तुम्हारी बातों का बुरामानूँगी? अरे मैं और मेरी चूत तो तुम्हारे लंड की दिवानी हो गयी है, मेरे जवान जिस्म को जब चाहे, जैसे चाहे चोदो। मैं किसी बात का बुरा नहीं मानूँगी। मैं तो यह सोच रही हूँ कि कल जब रजत आ जायेगा तो मैं तुम्हारे मस्त लंड के बिना कैसे रह पाऊँगी? चलो आज रात ही क्यों, तुम अभी इसी वक्त एक बार मेरी गाँड मर लो। रात कि बात रात को देखी जायेगी।”

यह कह कर सविता भाभी जो कि नंगी ही थी अपने घुटने के बल अपनी गाँड को ऊपर कर के कमरे के कालीन के ऊपर बैठ गयीं और बोलीं, “क्या देख रहो हो, जल्दी से अपना लंड तैयार करो और मेरी गाँड के छेद में डाल कर मेरी गाँड मारो। मैं आज अपनी गाँड तुमसे मरवाना चाहती हूँ। आज मेरी गाँड तुम्हारे लंड को पा कर शुक्रमंद हो जायेगी।”

मैं भी पहले से ही नंगा था और झट से अपना लंड उनके मुँह मे दे कर बोला, “हाय! मेरी चुद्दकड़ भाभी, अपनी गाँड मरवानी हो तो लो मेरा लौड़ा अपने मुँह में लेकर इसे चूस-चूस कर खड़ा कर। मैं अभी तेरी गाँड को अपने लौड़े से फाड़ता हूँ। हाय! तेरी गाँड मारने में बहुत मज़ा आयेगा, तेरे फूले-फूले चूत्तड़ों के बीच के छेद में अपने लंड को डालने का मुझे बहुत अरमान था और आज वो अरमान पूरा करूँगा।”

भाभी ने भी मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चाट-चूस कर खड़ा कर दिया और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ों को फैला करके बोली, “योगेश देख मैंने तेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया, अब जल्दी से अपना लंड मेरी गाँड में पेल!”

Savita bhabhi ki bhabi sex kahani

मैंने भी फिर ढेर सारा थूक निकाल कर उनकी गाँड के छेद पर लगाया और उसी वक्त अपना लंड उनकी गाँड में डाल कर उनकी गाँड मार ली। सविता भाभी की गाँड मारने में मुझको बहुत मज़ा आया और उन्होंने भी अपनी कमर आगे पीछे कर के पूरे जोश के साथ अपनी गाँड मुझ से मरवायी। फिर वो अपनी गाँड को अपने हाथ से पोंछते हुए मुस्कुरा कर बोली, “क्यों मज़ा आया, मेरी गाँड मार कर! रजत को मेरी गाँड मारने का बहुत शौक है और वो रोज रत को मेरी चूत मारे ना मारे लेकिन मेरी गाँड में अपना लंड एक बार जरूर पेलता है।”

मैंने भाभी कि चूत में अपनी अँगुली डालते हुए कहा, “हाँ भाभी आपकी गाँड मार कर मुझे बहुत मज़ा आया। अब लग रहा है कि रजत और दो-चार दिन सिंगापुर ही रहे और मैं हमेशा तुम्हारी चूत और गाँड की सेवा करूँ।”

उस रात हम लोगों ने कई बार एक दूसरे की चूत और लंड का हर तरह से मज़ा लिया। भाभी हमारी चुदाई से बहुत थक गयी थीं और फिर हम लोग थोड़ा बहुत खाना खा कर एक दूसरे से लिपट कर सो गये और सुबह देर तक सोते रहे। अगले दिन रजत को सिंगापुर से आना था और उसकी फ़्लाईट दो बजे दोपहर में आने वाली थी। इसलिये सुबह देर से उठ कर हमने एक दूसरे से लिपट कर चुम्मा लिया।

सविता भाभी बोलीं, “योगेश आज तो रजत आ रहा है और पता नहीं फिर कब मौका मिले तुमसे मिलने का और तुम्हारा लंड अपनी चूत में पिलवाने का, तुम अभी एक बार फिर से मेरी चूत की चुदाई कर दो, प्लीज़।” savita bhabhi

मैं बोला, “भाभी आपने मेरे मन की बात कह दी। मैं भी चाहता था की एक बार फिर से आपकी चूत में अपना लंड डालूँ और आपको जी भर कर रगड़-रगड़ कर चोदूँ।”

हम लोग फिर से एक दूसरे से लिपट गये और फिर से मैंने उनकी टाँगों को ऊपर कर के अपना लंड उनकी चूत में पेल कर सविता भाभी को एक बार फिर रगड़ कर चोद दिया। उसके बाद हम लोगों ने साथ-साथ बाथरूम में जाकर एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाया और मैंने उनकी चूंची और चूत से खेलते हुए और भाभी ने मेरे लंड से खेलते हुए स्नान किया और फिर अपने अपने कपड़े पहने और एयरपोर्ट रजत को लेने के लिए चले गए। रजत ने एयरपोर्ट पे ही मुझसे बहुत माफी माँगी और फिर रजत और सविता भाभी ने मुझे एक बार फिर से मुम्बई आने को कहा।

मैंने भी सविता भाभी की तरफ देखते हुए उन लोगों से कहा, “जरूर आऊँगा, सच तुम्हारे यहाँ आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं कोशिश करूँगा कि मैं जल्दी ही फिर से मुम्बई आऊँ।”

मैंने भी रजत और सविता भाभी से दिल्ली आने को कहा और उन दोनों भी दिल्ली आने के लिए हामी भर दी।

सविता भाभी बोलीं, “जरूर हमलोग जल्दी ही आपके पास दिल्ली आयेंगे।”

मैं उसी शाम कि फ़्लाईट पकड़ कर दिल्ली चला आया। savita bhabhi