Rikshawale Ne Choda Barish Me – हेलो दोस्तों. अपने लंड को हाथ में पकड़कर ये सेक्सी चुदाई वाली कहानी पढीये. मज़ा आएगा… मेरा नाम कोमल है. मैं २५ साल की पंजाबन लड़की हूँ और दिल्ली में कॉलेज में पढ़ रही हूँ. मेरा फिगर ३७-२८-३९ है और ऊंचाई ८ फुट ९ इंच है. मेरी आँखें और बाल काले हैं और मैं बहुत गोरी हूँ.. नाक पतली और छोटी, ठुड्डी राउंड है और फेस डायमंड शेप का है.. होंठ पतले हैं और चेहरा भरा हुआ है.. बात अभी कुछ दिन पहले की है.. जुलाई का महीना था और बारिश हलकी-फुलकी हो रही थी.. मैं अपने घर के रूम में बिस्तर पर बैठी अपने फ़ोन में सेक्सी वीडियोस देख रही थी.. अचानक मेरे फ्रेंड का फोन आया, जो की अपने मायके गयी हुई थी..
पायल – हेलो कोमल!
मैं – हाय पायल! कैसी है और कब आ रही है वापस?
पायल – अरे यार.. यहाँ बस स्टैंड पर कड़ी हूँ.. मुझे पुलिस स्टेशन में काम है अर्जेंट और मेरे पास काफी सामान है.. तू आजा.. साथ में डिनर करके चलेंगे फिर मार्केट से…
मैं – ओके! अभी आती हूँ.. सब ठीक तो है ना?
पायल – मेरा फ़ोन चोरी हो गया है, मुझे FIR करनी है अभी…
मैं – फिर चोरी हो गया? तू करती क्या है? बड़ी लापरवाह है… और FIR बाद में कर लेना.
पायल – अरे यार.. अभी ट्रैक हो जाये तो अच्छा है.. बाद में कोई कुछ नहीं करता…
मैं – ओके डार्लिंग.. डोंट वरी… मैं आती हूँ..
फिर मैं तैयार हुई जल्दी में, बिना ब्रा के ही, एक येलो टॉप और ब्लू जीन्स में.. घर से बाहर रिक्शा पकड़ा जो की ऊपर से खुला था..
ध्यान ही नहीं रहा की बारिश हुई तो सब भीग जायेगा.. बस स्टैंड करीब १० मिनट की दूरी पर था, और जो रास्ता है, वो काफी सुनसान सा है… रास्ते में जो डर था, वही हुआ.. बारिश शुरू ो गयी.. और मैं भीगने लगी.. खैर, इतनी तेज़ बारिश नहीं थी, इसलिए मैंने रिक्शा नहीं रुकवाया..
पर कुछ ही सेकंड में बहुत तेज़ बारिश होने लगी.. मैंने रिक्शावाले को साइड में पेड़ के निचे रुकने को कहा.. मैं जल्दी से रिक्शा से कूदकर पेड़ के निचे भागी.. रिक्शावाले को मैंने पैसे भी नहीं दिए थे.. इसलिए वो रुक गया और अपनी सीट पर ही बैठे-बैठे घूरने लगा…
रिक्शावाला – मैडम थोड़ी ही दूर है.. वह जाकर खड़ी हो जाना..
मैं – अरे.. दिख नहीं रहा भैया? मैं भीग गयी हूँ…! एक तो छत नहीं है तुम्हारे रिक्शे में, ऊपर से भीगा दोगे?
रिक्शावाला मुझे घुरे जा रहा था.. अचानक मुझे ध्यान आया!
हे भगवान्!!! मैंने ब्रा नहीं पहनी थी और मेरे दोनों चुचे साफ़ चमक रहे है… टी-शर्ट गीली थी तो अंदर का सब दिख रहा था.. एकदम क्लियर!
ऊपर से बारिश की ठंडी बूंदे , जिनकी वजह से मेरे निप्पल्स कड़क हो गए थे.. रिक्शावाले ने रिक्शा साइड में लगाया और मेरे पास आकर खड़ा हो गया..
मुझे जैसे ही ध्यान आया, मैंने अपने हाथ फोल्ड कर लिए और निचे सर करके खड़ी हो गयी… स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी थी, जिससे मेरे हांथों में हलकी हलकी ठण्ड लग रही थी.. जिससे मैं कांपने लगी.. मैं फ़ोन पर पोर्न देखने के बारे में सोचने लगी.. और मेरे दिमाग में अजीब-अजीब ख्याल आने लगे.. इतने में पायल का फ़ोन आय गया..
पायल – कहा है तू इशिका? मैं वेट कर रही हूँ…
मैं – अरे यार.. रिक्शा से आ रही थी और रिक्शे में छत ही नहीं है.. पेड़ के निचे कड़ी हु अभी..
पायल – अरे यार…
मैं – तू बाद में करवा लेना FIR , फ़ोन तो मिलेगा नहीं अब.. सिम इशू करवाने के लिए ही तो चाहिए होगी…
पायल – क्या पता मिल जाए…
मैं – अच्छा ठीक है.. बारिश कम होते ही आ रही हूँ..
मैं फ़ोन पर बात करते टाइम अपने हाथ निचे कर चुकी थी.. जिससे की रिक्शावाले को खूब मज़ा आ रहा था..
वो मेरे साइड में खड़ा होकर मेरे चुचे देख रहा था.. फिर वो बात करने की कोशिश करने लगा..
रिक्शावाला – मैडम, मौसम तो बढ़िया हो गया अब..
मैंने सोचा की ठीक है, बातें करुँगी तो यही रहेगा.. भागेगा नहीं.. तो मैं भी बातें करने लगी..
मैं – हाँ भैया.. कम से कम गर्मी तो कम होगी..
रिक्शावाला – पर अप्प लेट हो गयी बारिश में..
मैं – अब क्या करें? किसी का फायदा तो किसी का नुक्सान.. वैसे मुझे बारिश से कोई ख़ास शिकायत नहीं है..
रिक्शावाला – आप उत्तर प्रदेश से हो?
मैं – नहीं.. मैं पंजाब से हूँ.. आप शायद U.P. से हो..
रिक्शावाला मुस्कुराने लगा..
रिक्शावाला – मैडम.. आपका नाम क्या है?
मुझे अजीब लगा के ये क्या चाहता है जो नाम पूछ रहा है..
मैं – नाम का क्या करोगे?
रिक्शावाला – मेरा नाम लखन है.. ऐसे ही पुछा मैडम.. इंट्रोडक्शन के लिए..
मैं – हाँ.. हाँ.. आप तो मुझे पढ़े-लिखे लगते हो..
लखन – हांजी.. मैंने B.A. किया है.. वो तो मजबूरी में रिक्शा चला रहा हूँ..
मैं – ओह!
लखन – आप क्या करती है? मतलब क्या पढ़ रही हैं?
मैं – अरे, जो कॉलेज था न.. जहा आप खड़े थे.. वह पढ़ती हूँ..
लखन – अरे.. याद आया.. मैंने आपको कई बार आते-जाते देखा है..
लखन थोड़ा पास आ गया.. मेरा दिल धड़कने लगा तेज़ी से.. एक तो दिमाग में पोर्न मूवी चल रही थी.. जिसे देखकर मैं ऊँगली कर रही थी.. ऊपर से टी-शर्ट में खड़ी निप्पल्स!!
लखन बड़ा ही हसमुख आदमी था.. मुझसे हाइट में कुछ छोटा था.. पतला सा.. करीब ४५-५० के आस-पास का आगे वाला.. थोड़ी दाढ़ी भी थी उसको.. दो तीन मिनट तक तो वो खुद ही बोलता रहा… मेरे मन में अब लंड घूम रहा था.. मोटा सा लंड.. अपनी चूत में लेने की इच्छा हो रही थी.. फिर मेरे दिमाग में आया की क्यों न मैं लखन की साथ ही कुछ शरारत करू…?
मैंने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए और फिर एक हाथ से टी-शर्ट की बाहर की तरफ खींचा.. खींचते ही टी-शर्ट से चिपके हुए मेरे मोठे चुचे अलग हो गए.. लखन बड़े ध्यान से देख रहा था..
उसका मुंह मेरे ही तरफ था शुरू से..
मैं – अच्छा तो आप मुझे देखते क्यों थे?
लखन – अरे मैडम.. इतनी खूबसूरत हो तो नज़र तो टिकेगी ही.. मैं अकेला थोड़े ही हूँ.. आप के कॉलेज के लड़के हो तो….
मैं – तो क्या? बताओ…
लखन – वही तो.. इशारे से पूछते थे के अच्छा लगा…
मैं – ओह! ऐसा है क्या? अच्छा तो फिर आप क्या कहते थे?
लखन – सच ही कहा था मैडम…
मैं – क्या कहते थे?
मैंने अपने आँखें बड़ी की और सीधा लखन की आँखों में बड़े प्यार से देखा..
लखन – यही की बड़ा मज़ा आया..
मैं – हम्म…. देख के मज़ा आता है..
लखन – और नहीं तो क्या मैडम..
मैं – मैडम मत कहो प्लीज.. मेरा नाम इशिका है.. बड़ा अजीब लगता है अपने से बड़े लोगों से मैडम सुनना…
लखन – ठीक है ईशिकाजी..
मैं सोच रही थी.. मर्द बड़ा रेस्पेक्ट देते है जब तक लड़की पट नहीं जाती.. पर जब एक बार चोद लेते है तो रेस्पेक्ट को हमारी गांड में डाल देते हैं…
मुझे ये सोच कर हंसी आ गयी.. के अभी जब इसे चुत दे दूंगी तो फिर जी-वि सब गायब हो जायेगा…
लखन – क्या हुआ इशिकाजी..
मैं – यही सोच रही थी के आपको क्या मज़ा आता होगा..
लखन भी इशारे पकड़ रहा था अब..
लखन – आपको पता है क्या?
मैं – हाँ.. आजकल तो सब को पता होता है…
और मैं मुस्कुराकर अपनी छाती बाहर निकाल कर निचे देखने लगी.. मेरी चूचियां फिर गीली टी-शर्ट पर चिपक गयी थी.. लखन का लंड भी पैंट का शेप बिगाड़ रहा था अब..
मैं – आपकी शादी हो गयी होगी…
लखन – हाँ..
अब लखन की आँखें मेरे छाती पर टिकी थी.. और वो मुझसे एक हाथ की दूरी पर था..
मैं – फिर भी आप जवान लड़कियों को देख कर मज़े लेते हो?
लखन – जितनी टाइट होती है न.. उतना मज़ा आता है देखने में…
और इतना कहकर ही उसने अपना एक हाथ मेरे बाएं चुचे पर रख दिया और हॉर्न की तरह ज़ोर से दो-तीन बार दबा दिया..
मैं – आअह्ह्ह!!! ये क्या कर रहे हो आप?
लखन – ड्रामा तो खूब कर लेती हो इशिका.. बेवकूफ समझा है क्या? कब से लाइन दे रही हो तुम..
मैं – मैं तो नार्मल ही बात कर रही थी..
इतने कह मैंने उसे धक्का दिया.. मैं भी मज़े ले रही थी… ताकि मुझे रफ़ ट्रीट करे.. मुझे रफ़ ट्रीटमेंट पसंद है..
लखन – भोस्डीकी, नार्मल बातें.. सभी के लंड भी ले लेती होगी।
फिर तो वो मेरे ऊपर झपटा और मेरे चुचे को दोनों हांथों से पकड़ लिया कस के और भोंपू बजाने लगा.. फिर आटे की तरह गूंथने लगा.. मेरा हाथ उसके हांथों पर था.. मैं रेसिस्ट नहीं कर रही थी.. मेरी चुत अचानक ही उफन पड़ी और खूब सारा जूस बहने लगा.. मैं शाम के उजाले में खुले सड़क पर साइड में एक रिक्शावाले से अपने बोबे दबवा रही थी.. ये सोच कर मुझे और जोश आ गया.. अब मैं कराहने लगी..
मैं – स्स्स्सस्स्स्स……
लखन – हे..हे.. आया मज़ा तुझे.. आ गयी न तू लाइन पर..
ये कह कर उसने मेरे चुचो के बीच मुंह रगड़ दिया.. टी-शर्ट के ऊपर से ही…
लखन – पसंद आ रही है साली रंडी?
मैं – ओह! हाँ.. पर यहाँ कोई देख लेगा.. कहीं और चलो..
लखन – देख लेगा तो क्या? वैसे भी यहाँ कई रंडियां चुदती है.. कोई कुछ नहीं कहता..
मैं – अरे.. पर मैं रंडी थोड़े ही हूँ..
लखन – जो भी हो तू माल तो ग़दर है..
उसने मेरे टी-शर्ट को ऊपर किया और अपना मुंह जितना खोल पाता, खोला और मेरे राइट बोबे पर चिपका दिया.. और खूब ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा.. लग रहा था की आज तो दूध ही निकल जाएगा.. चूसते-चूसते उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ पर रख के उसे दबा दिए… खूब जानवरों की तरह मेरे चूतड़ मसल रहा था वो…
मैं – प्लीज, साइड में चलो.. मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ.. जो चाहो.. कर लेना… पर उस झाडी के पीछे..
फिर लखन मुझे झाडी के पीछे ले गया.. मुझे पीछे से दबोच लिया.. उसका मोटा सा लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था.. उसने मेरी टी-शर्ट निकाल फेकी…
मैं – अरे.. क्या कर रहे हो..? मुझे जाना भी है कही.. गन्दा मत करो..
लखन मेरे बूब्स पर चींटी की तरह मुंह लगाकर चिपका हुआ था.. और ऐसे ही मैं टी-शर्ट उठाने लगी.. फिर बड़ी मुश्किल से टी-शर्ट उठाकर साइड में रखा.. अब मैं ऊपर से पूरी नंगी थी और मेरे एक बोबे को लखन चूस रहा था और एक लटक रहा था हवा में.. मुझे अंदाजा हो गया की ये बड़ा ठरकी है.. आज तो हज़ामत बनाकर ही दम लेगा.. मैंने सोचा जल्दी ख़त्म करते हैं.. मैंने झट से अपनी जीन्स के बटन खोल दिया और उतारकर साइड में रख दिया.. लखन खड़ा होकर ख़ुशी से देखने लगा..
लखन – अपनी ठुकाई की तैयारी खुद ही कर रही है..
मैं – तुम तो सारा दिन बोबे ही चूसते रहोगे…
इतने में मैंने झट से पैंटी उतारी और कुतिया बन गयी.. मुझे लगा लखन अपना लंड डालेगा पीछे से.. देसी आदमी वैसे भी सिर्फ चुदाई ही जानते है.. पर वो भूखे शेर की तरह मेरी चूत पर मुंह लगाकर जूस चूसने लगा.. मेरी चीख निकल गयी.. सुननेवाले ने बहूत दूर से सुन ली होगी.. ऐसे चीख थी..
मैं – क्या कर रहे हो…. खा जाओगे क्या?
लखन – इतनी सूंदर चूत है तेरी.. खाना तो पड़ेगा ही.. ऐसे चूत तो सिर्फ विलायती फिल्मो में देखी है..
मैं – तुम्हे पसंद आयी ?
लखन – दिखाता हूँ.. कितनी पसंद आयी..
उसने फिर एक थप्पड़ घुमाकर दिया मेरे चूत पर.. मैं एकदम से उछल गयी…
मैं – आह्ह!!! जानवर हो क्या?
लखन – शेर हूँ.. शेर!
मैं – शेर का तो लंड छोटा होता है.. बड़ा तो सिर्फ गधे का होता है..
और मैं हंस पड़ी.. लखन ने मुझे बाल पकड़कर उठाया.. शायद वो समझ चूका था की मुझे काबू करना आसान है और मैं ज़्यादा कहूँगी नहीं.. मुझे उसने घुटनो के बल बिठाया गीले पत्तों पर और अपना पैंट उतार दिया.. उसका लंड ज़्यादा बड़ा नहीं था पर उसके सेहत के हिसाब से काफी ज़्यादा मोटा था..
मैं – वाओ! ये तो काफी मोटा है.. शेर के लिये..
इतना बोलते ही उसने अपना लंड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया और ज़ोर-ज़ोर से चुत की तरह चोदने लगा.. लंड मेरे गले तक घुस रहा था और मुझे उबकाई आ रही थी.. पर वो चोदे जा रहा था.. उबकाई के वजह से चिपचिपा थूक निकल कर लंड पर लग गया.. जिससे की वो और चिकना हो गया और सर्र-सर्र मुंह में अंदर-बाहर होने लगा.. मैं मुंह साइड में करने की कोशिश कर रही थी पर उसने मुझे बालों से पकड़ा था कसकर.. पर आखिर में मुंह साइड में करने में कामयाब हो गयी मैं.. पर वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था..
मेरे गले की जगह वो मेरे गाल को अपने मोठे लंड से चोद रहा था.. गाल लग रहा था के फट ही जायेगा.. पर कम से कम, उबकाई तो नहीं आ रही थी अब.. उसने खूब मुंह चोदा ३-५ मिनट तक.. फिर जल्दी से मुझे मोड़ा और फिर से कुतिया बना दिया और ज़ोर से मेरी चूत में लंड दाल दिया..
Chudai kahani गोवा के बीच पर गर्लफ्रेंड के साथ की मस्ती
लखन – साली रांड! कितनो से चुदवा चुकी है? चूत तो खुली है तेरी पर टाइट है काफी..
मैं – आह्ह्ह्हह…. बस मेरे बॉयफ्रेंड ने चोदा है अब तक..
लखन – मेरा लंड कैसा लगा तुझे?
मैं – मज़ेदार… आअह्हह्ह्ह्ह… है काफी… काफी एक्सपीरियंस वाला लंड है तुम्हारा. पर थोड़ा.. और लम्बा होता तो गहरा उतर जाताआआआ…..
लखन – गहरे का क्या है.. अभी ये देख..
लखन ने मेरी चूतड़ पर थप्पड़ मारा और पूरी जान लगाकर अपनी कमर हिलाने लगा.. लग रहा था, लंड नहीं खंजर हो.. जो मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा है.. इतना मज़ा आ रहा था के क्या बताऊँ.. मैं वह पड़े-पड़े मज़े ले रही थी.. इतने में फ़ोन बज पड़ा…
पायल – कहा है तू इशिका?
मैं – आअह्ह्ह… यही… हु…..
पायल – बारिश तो कब की बंद हुई है.. कब आएगी?
मैं – अरे.. बससससस…. निकलल…. रही हूँ..
लखन – भोसड़ीकी, कौन है.. जो चुदाई में बाधा डाल रही है…
मैंने पीछे मुड़कर इशारा किया चुप होने का.. लखन मेरी पीठ से चिपक गया और मेरे ऊपर लगभग लेट ही गया और चोदने लगा..
पायल – अरे यार.. तेरे चक्कर में कब से कड़ी हूँ.. जल्दी आ अब तू…
मैं – बस.. पहुँच… रही… हु…. उईईईईई!!!!
पायल – ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ?
लखन धीरे से मज़े लेते हुए कहने लगा… चुत पिलवा रही है तेरे रंडी सहेली..
मैं – उम्मम्मम्म… रोड… पर…. गधे…. हैं…. यार… काफी…… उईईई! रिक्शावाले! धीरे करो… ना…. उईईईईई.. माँ!!!!
पायल – गधी! कौनसे रस्ते से आ रही है तू? खैर.. जल्दी आ…
मैं – ओके!
मैं – फूउ…. बच गयी…
लखन अब खुद तेज़ झटके माँ रहा था.. उसने अपने दोनों हथेली मेरी पीठ पर राखी थी और धकाधक चोदे जा रहा था मेरी चूत पीछे से… उसके झटके बहुत तेज़ हो रहे थे… मैं समझ गयी, इसका माल निकलने वाला है.. मैं एकदम से आगे हुई और उसका मोटा लंड बाहर आ गया.. पर वो झटका मार रहा था इसलिए बाहर आते ही, लंड मेरी गांड के छेद में ज़ोर से लगा…
लखन – माँ की लौड़ी.. आनेवाला है.. क्या कर रही है?
मैं एकदम से घुटनो के बल बैठी और अपने दोनों बोबे में उसका लंड समेत कर ऊपर निचे करने लगी.. उसने मुझे धक्का दिया और मैं पत्तों पर पीठ के बल गिर गयी.. और वो मेरे ऊपर चढ़ गया एयर मेरे पेट पर बैठ कर अपना लंड मेरे बोबों के बीच फसाकर आगे-पीछे घिसने लगा.. थोड़ी देर में उसके मोटे लंड की पिचकारी मेरी गर्दन पर और बोबों पर बिखर गयी.. मैंने मज़े लेकर उसका माल ऊँगली से छाता.. वो मेरे ऊपर ही लेट गया और लिपट गया मुझसे..
मैं – ले लिए मज़े अब तो..
लखन – अभी कहाँ? अभी तो असली काम बाकी है..
मैं – वो क्या?
लखन – मैं तेरी मोटी गांड पर फ़िदा हूँ.. वो लेनी है..
मैं – ओह! नो!! नहीं.. प्लीज़ अभी नहीं.. अभी मुझे जाना पड़ेगा.. मैं बाद में मिलूंगी कभी तो.. तब वो भी कर लेना …
लखन – चल ठीक है.. कहाँ भागेगी अब तू तो मेरी रंडी है..
मैं – हां.. हां..
फिर मैं उठी और लखन ने अपना लंड चुसवाकर साफ़ करवाया.. फिर अपने आपको साफ़ किया लखन की चड्डी से और कपडे पहने.. फिर मैं बाहर आयी झाडी से तो देखा के रोड के दूसरी तरफ से एक ऑटो आ रहा था..
ऑटो में पायल बैठी थी और मुझे देख रही थी.. उसने ऑटो रुकवाया पर ऑटो कुछ आगे जाके रुका.. लखन पेशाब कर के मेरे पीछे से निकला और रिक्शा पर बैठ गया.. पायल उसे मेरे पीछे से निकलते नहीं देख पायी थी..
लखन – चलो मैडम…
मैं – ओह.. रुको.. मेरी दोस्त यहाँ है..
लखन – चलो.. तो फिर अपना नंबर तो बता दो..
मैंने उसका नंबर लिया और अपना नंबर उसे दे दिया.. और फिर रिक्शा में बैठ कर उसी साइड चल दी जहा से आयी थी.. वैसे भी लखन को बीएस वापस जाना था वहीँ.. आगे मैं ऑटो के पास उत्तरी और ऑटो में बैठने लगी..
पायल – अरे.. पैसे तो दे दे बेचारे को..
मैं सोच रही थी की चूत और मुंह तो दे ही दिया है.. पैसे भी दू ऊपर से..
लखन – अरे नहीं.. मैडम का खाता है मेरे साथ.. कोई बात नहीं.. बाद में ले लूंगा जब दिखेंगी..
पायल – ओके!
और हम दोनों चल दी..
पायल ने रास्ते में कहा – मुझे पता है किस खाते की बात हो रही है..
मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी.. के इसे कैसे पता?
फिर हॉस्टल पहुँचने पर उसने बताया की तुझे जो झटके लग रहे थे वो चुदाई के ही हो सकते थे क्योंकि तू तो पेड़ के नीचे थी जहा तूने कहा था.. मैंने आँख मारी और कहा की क्या करू.. करना पड़ता है चूत के लिए..
आशा है आप सबको ये सेक्सी स्टोरी पसंद आयी होगी।