रसीली प्रज्ञा भाभी

pragya bhabhi ki rasili chooth – दोस्तो मेरा नाम कमल है मैं एक शादी शुदा आदमी हु लेकिन सेक्स मैं कम रुचि रखने वाली औरत है और फिर उसकी छतिया बहुत छोटी थी और सेक्स मैं जोश भी नही दिखा पाती थी जल्दी ही थक जाती पहली रात को ही जब मैंने अपने पाइप जैसे मोटे लण्ड से उसको चोदा तब से ही वो ख़ौफ़ मैं रहती थी.. तीन दिन तक वो सीधी नही चल पाई थी..

बुखार अलग आ गया था मैं बड़े और मांसल छातियों वाली औरत के लिए हमेशा बेकरार रहता उसने मेरे लण्ड की साइज के बारे मे अपनी माँ और भाभी को भी बताया उधर समस्या इसके बिल्कुल विपरीत थी उसकी भाभी गाव की थी मेहनतकश बदन और उसका पति कमजोर छोटे से लण्ड वाला वो जानता था कि मेरा लण्ड छोटा है इसलिए वो अक्सर उसकी पत्नी से झगड़ा करता था उसके दिमाग मे यही बात रहती थी कि ये किसी से चुदवा न ले भाभी उसका नाम प्रज्ञा था…

एक डिलीवरी के बाद उसका पति महीनों उसकी चड्डी नही खोलता और वो अपनी सभी कामुक इच्छाओ को दबा कर जीवन जी रही थी उसकी गाव की सहेलियां जब अपने पति की साइज़ का बड़ा चढ़ा के बखान करती थी तो उसका दुख और बड़ जाता मेरी सास भी अपनी बेटी की समस्या को जानती थी लेकिन क्या करती दूसरी तरफ बहु बेटे के रोज रोज के झगड़े होली के दिन की बात है प्रज्ञा का पति अपने दोस्तों के साथ होली खेलने चला गया पीछे से उसके दो दोस्त आये प्रज्ञा भाभी ने उसको ससम्मान चाय नास्ता कराया जाते जाते वो प्रज्ञा को गालो पर रंग लगा गए..

उसके बाद वो उसके पति से मिले तो मजाक मजाक मैं उसने बोल दिया कि हम तेरे घर पर होली खेल कर आये है भाभी से पूछना कहा कहा रंग लगाया है कपड़ो पर निशान दिख जाए गे इधर उन लड़कों के जाने के बाद पड़ोस की आंटी आयी प्रज्ञा को रंग लगाया तो उसने उसकी सफेद ब्रा पर अपने दोनों हाथों के निशान लगा दिए अब पति पी पा कर दोपहर को घर आया तब तक प्रज्ञा नहा चुकी थी वो नहाने बाथरूम गया वहां उसकी नज़र प्रज्ञा की सफेद ब्रा पर गयी दोनो बोबे पर लाल रंग के पंजे के निशान पास मैं पैंटी सुख रही थी वो भी चुत और गांड की तरफ पंजे के निशान वो गुस्से मैं पागल हो गया और खूब गली गलोच करने लगा..

उसको लगा ये सब काम उसके दोस्तों ने कर दिया है तभी मेरा वहा पहुचना हुआ दोनो खूब झगड़ रहे थे प्रज्ञा भी बोल पड़ी मेरी जवानी तुम्हारे तो किसी काम की नही किसी के काम आयी तो क्या हुआ मामला बहुत गर्म था जैसे तैसे ठंडा किया और समझाया कुछ दिन बाद मैं पत्नी को लेने ससुराल गया वहां एक दोस्त बहुत दिनों बाद मिल गया वो भी मेरे साथ ससुराल आ गया पत्नी और सासु जी दोनो किसी काम से बाजार निकल गए दोस्त मोहन जाट फोटोग्राफर था और जिम ट्रेनर भी लंबा पूरा गोरा हैंडसम बिल्कुल जॉन इब्राहिम जैसा दिखता था….

प्रज्ञा भाभी उस पर खूब लटकी उसके आगे पीछे घूमने लगी बात बात मैं उसको कई बार आंख मारी उसके जाने के बाद मैंने ड्रिंक करने बैठा प्रज्ञा ने मुजे किचन के पास वाले रूम मैं ही बैठने का फोर्स किया मैं समझ नही पा रहा था कि ये अचानक दीवानी क्यो हो रही है वो बहुत खुश थी मैंने ड्रिंक करना शुरू किया वो किचन मैं से मुजे देख देख मुस्कुरा रही थी मैंने उसको अपने पास बुलाया वो इठलाती बल खाती आई मेरे पूछने पर उसने बताया कि आप अपनी पत्नी से संतुष्ट नही मैं मेरे पति से तो मम्मी ने और दीदी हैम तीनो ने फैसला किया कि आप मम्मी जी और मुजे अब कभी भी मौका मिलते ही आप चोदना चाहये तो चोद सकते है घर की इज्जत घर मे ही रहे गी..

प्रज्ञा ने अपने ब्लाउस के हुक खोल कर अपनी सांवली नंगी बड़ी बड़ी छातियां मेरे सामने कर दी मैं भी उसकी बड़े बुब्ब्स को चूसने लगा प्रज्ञा बेहद उत्तेजित हो उठी वो मेरी पेंट खोलने की कोशिश करने लगी जब मैंने मेरा लण्ड निकाल कर उसके हाथ मे दिया वो उस पर अपना प्यार लुटाने लगी तभी उसके पति का फोन आया काफी देर तक नही उठाने पर मैने बोला उठाने को वो मेरे लण्ड को हाथ मे लेकर पति …इतनी देर हो गयी फोन उठाने मैं ….प्रज्ञा भाभी …अपने यार का लण्ड चूस रही हु ..पति ….नाराज़ हो …होली के दिन से ….प्रज्ञा मेरे लण्ड के टोपे को आवाज निकाल कर चाटने लगी बोली 30 मिनट बाद फोन लगाना यार से अपनी चुत चुदवा लू फिर …पति ….मजाक मत करो अरे …उसदिन …तुम्हारी ब्रा पर पंजे के निशान थे तो प्रज्ञा …..तो …क्या …तुम्हारा खड़ा नही होता तो इस मैं मेरी गलती है पति ….अरे नही …उस दिन मैं गलत था प्रज्ञा ….नही उस दिन तुम सही थे तुम्हारे दोनो दोस्तों ने मेरे बोबे चूसे भी दबाये भी और पेंटी मैं मेरी चुत मैं उंगली घुसा कर रंग लगाया था और आज के बाद मैं अपनी इच्छा से किसी से भी चुड़वाओ तुम कुछ नही बोलो गे पति ….मेरी इज्जत का क्या होगा प्रज्ञा …तुम्हारी इज्जत मेरे चुप रहने मैं ही है ….वार्ना मैं अभी मेरे पापा को फोन लगती हु तुम ईज्जत के साथ यहाँ रहना पति ….

अब इस मैं पापाजी कहा से आ गए चलो जब तक मैं ठीक नही होता हूं मैं तुम्हे कुछ नही कहुगा प्रज्ञा ….मैं आप की थी आप की ही रहूंगी लेकिन आप जानते हो आप मेरी मजबूरी समझते हो आज तक मैन ऐसा बोला क्या पति ….हा नही बोला लेकिन मैं समझता हूं प्रज्ञा .. आप को मेरी छोटी बहन आशा पति …हा हा प्रज्ञा …अपनी शादी के बाद यहाँ आयी थी तब आपने उसके निम्बू कई बार दबाये थे पति …अरे …वो ….तो प्रज्ञा …मैं भी चुप थी न समझो यार पतिदेव पति की आवाज भारी होने लगी थी आशा के नाम से प्रज्ञा …

16 साल की उफनती जवानी है जानू कुछ समझे पति ….ओ हा हा समझ गया प्रज्ञा …मजे लेना 16 साल की कुंवारी के मुजे भी मजे लेने दो आप की बीमारी ठीक हो जाये तो पक्का मंगलसूत्र की कसम पति …लेकिन ये बात हम दोनों मैं ही रखना और प्रज्ञा को पति की भी सहमति मिल गयी मैं ….वो ब्रा पर निशान प्रज्ञा …..मैंने खुद ही लगाए थे वो अपनी दोनों छातियों के बीच मैं मेरे लण्ड को मालिश करती बोली मैं .. मतलब उन लड़को से ….प्रज्ञा ….नही मेरा कोई संबंध नही है मैं …तो ये सब नाटक क्यो …प्रज्ञा …इनका बहुत छोटा है फिर एक डिलेवरी के बाद ये मुजे तेरी ढीली हो गयी बोल कर करते नही थे खड़ा इनका नही होता और रंडी मुजे बोलते हर सुंदर मर्द से मेरा नाम जोड़ते मैं भी सुनते सुनते पक गयी एक दिन दीवाली के समय इन्होंने एक लड़के को साफ सफाई के लिए पास की जुग्गी से घर भेजा वो बहुत काला लेकिन लंबा मजबूत था धूप दिन भर रोड और मकान का काम करता था पहले दिन ही उसकी कसी हुई मजबूत मांसपेशियों को मैने काम करने के दौरान महसूस किया वो एक प्रकार का नीग्रो जैसा था..

Chudayi stories दोस्त की कुंवारी बहन को पेला

बहुत ताकत थी उस मैं उसने 100 किलो का बोरा (बेग)सिर्फ एक हाथ से उठा कर ऊपर रख दिया शाम को जब वो आज का काम पूरा कर बाथरूम के बाहर हाथ मुह धो रहा था तभी मेरी नज़र उसकी धोती मैं चली गयी मैं उसका मुरझाया हुआ लण्ड देख कर चकित रह गयी काला स्याह लण्ड मेरे पति के खड़े लण्ड से दो गुना लंबा और मोटा उसके लण्ड का टॉप भी हथौड़े के जैसा गोल मोटा ऐसा लण्ड सिर्फ आजतक विदेशी नंगी फिल्मो मैं नीग्रो का ही देखा था मेरी निप्पले कल्पना मात्र से ही खड़ी हो गयी थी मेरी चुत मैसे गर्म लावा बह निकला अगले दिन मैंने ज्यादा खुले गले का ब्लाउस पहना उस समय मेरे दिमाग मे सिर्फ उसका खड़ा लण्ड देखने की इच्छा थी स्टोर रूम की ऊपर की सफाई के लिए उसको स्टूल पर ऊपर खड़ा कर मैं स्टूल पकड़ खड़ी हो गयी..

अपने ब्लाउस के ऊपर के दो बटन भी मैने खोल रखे थे साड़ी का पल्लू भी पिन से नही लगाया था पल्लू नीचे गिराया और उसको अपनी आधी खुली छातियों के दर्शन कराए वो मेरे ब्लाउस मैं झांक रहा था मैं उसकी धोती मैं काला लण्ड अब फूलने लगा था लगातार बड़ा हो रहा था काफी मोटा और बड़ा हो गया लण्ड का टॉप अजीब था उसका इतना मोटा टॉप तो फिल्मो मैं भी नही देखा था एक छोटे एप्पल की साइज़ का था मैं अपने आप को रोक नही पाई और उसकी जांघो की मांसपेशियों पर हाथ फेरने लगी मैने उसकी आँखों मे देखा शायद वो कन्फर्म ही कर रहा था उसने अपनी धोती की गठान खोल दी अजगर की भांति उसका काला मोटा लंबा लण्ड मेरी आँखों के सामने तलवार की तरह तना हुआ खड़ा था मुजे ये सब सपने की तरह लग रहा था मैने आपा खो दीया और लण्ड के टॉप पर उंगली फेर दी लण्ड जोर जोर से उछलने लगा और तन गया…

तभी मेरे सिर को उस लड़के ने पकड़ा और मेरे चेहरे पर अपना लण्ड का टॉप फेरने लगा मुजे ऐसा लगा मानो स्टील का पाइप मेरे चेहरे को छू रहा हो इतना सख्त मेरे होटो पर उसने टॉप को रखा और सिर पकड़ कर मेरे मुह मैं लण्ड फसा दिया मैं गगगगगग गुऊऊऊUऊ की आवाज निकाली लण्ड चूसने लगी वो फिर स्टूल से उतरा और दोनों हाथों से मेरी छातियां मसलने लगा मैं उसकी गुलाम हो गयी थी कब उसने मेरी साड़ी अन्य कपड़े निकाल दिए पता ही नही चला मैं अब पूरी नंगी थी उसने मुजे अपनी मजबूत बहो मैं उठाया और मैंने गिरने के डर से अपनी नंगी टांगे उसकी कमर पर लपेट दी उसका तलवार जैसा खड़ा लण्ड अपने आप जगह बनाता मेरी चुत मैं समा गया उसका बदबू दार पसीना और बीड़ी की बदबू मेरे नथुनों मैं समा गई..

लेकिन मैं पागलो की तरह उसके गाल चाट रही थी उसने मुजे ऐसे ही खड़े खड़े चुदाई का रस दीया मैं जल्दी झर गयी फिर उसने मुजे नीचे उतारा और अपने लण्ड का पानी मेरे मुह और छाती पर निकाला वो फिर जब तक काम करता रहा रोज मेरी प्यासी चुत को अपना पानी पिलाता उसके बाद मुजे अलग अलग मर्दो का स्वाद लग गया लेकिन मैं डरती थी अब तो लायसेंस मिल गया है अब पति डर गया वो जोर से हँसी और नीचे जमीन पर सो गई मैं उसकी मांसल जवानी का दीवाना उसपर चढ़ गया काफी देर तक प्रज्ञा भाभी की चुदाई करि और प्रज्ञा …जीजा जी मैं अब उसी के साथ मस्ती करू गी जिसे आप इजाजत दो गे