दारू के नशे में चुद गयी दीदी

यह मेरी पहली कहानी है.. लेकिन में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी. यह कहानी मेरी और मानसी की पहली चुदाई की कहानी है. मानसी मुझसे तीन साल बड़ी है और वो मुझे अपना भाई मानती है.. लेकिन में तो उसे कुछ और ही समझता हूँ और मानसी का फिगर कुछ खास नहीं है.. लेकिन हाँ उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े है और वो जब गांड मटकाती हुई चलती है तो देखने वालों का लंड पानी छोड़ने लगता है. didi chud gayi

वो अपनी पतली कमर को बहुत झटके देती हुई चलती है. में उसके गदराए हुए बदन को देखकर बहुत खुश होता हूँ और उसके नाम से दिन में एक बार मुठ मारता हूँ.

दोस्तों यह बात आज से एक साल पहले की है जब में दिल्ली कॉलेज में एडमिशन लेने गया था. वहाँ पर में सबसे पहले मानसी से मिला जो कि कॉलेज में मेरी सीनियर थी और उसने ही मुझे कॉलेज में एडमिशन लेने में और फ्लेट ढूंढने में मदद की थी. मैंने वहां पर दो कमरों का एक फ्लेट ले लिया था. मानसी और में बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे. हम दोनों अक्सर घूमते फिरते थे और बहुत मस्ती करते थे.

फिर एक दिन मानसी ने मुझसे बोला कि उसको दारू पीनी है.

में : नहीं दीदी यह सब बहुत ग़लत बात है.

मानसी : नहीं मुझे तो एक बार दारू पीनी है. didi chud gayi

में : अच्छा ठीक है में आपको दारू पिला दूँगा.. लेकिन आपके जन्मदिन वाले दिन.

मानसी : ठीक है मुझे तुम्हारी यह बात भी मंजूर है.

दोस्तों तीन दिन के बाद मानसी का जन्मदिन था और मैंने रात को 12 बजे उसको फोन किया.

में : हैल्लो मानसी दीदी.. आपको जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो.

मानसी : हाँ.. तुम्हे बहुत धन्यवाद.

में : अब पार्टी कहाँ पर मिलेगी? didi chud gayi

मानसी : पहले तू मुझे दारू पिला.. उसके बाद हम पार्टी करेंगे.

में : अच्छा ठीक है आप कल शाम को 6 बजे तक मेरे फ्लेट पर आ जाना में सब कुछ इंतजाम करके रखूँगा.

मानसी : चलो फिर ठीक है.. बाय.

फिर में 4 बजे मार्केट जाकर एक बोतल विस्की की ले आया.. क्योंकि मुझे अच्छे ब्रांड की दारू ही पसंद है और उसके साथ खाने पीने का थोड़ा बहुत सामान भी ले आया और शाम 6 बजे मेरे फ्लेट का टेलिकॉम बजा और सिक्यूरिटी वाले का फोन था कि एक मेमसाहब आई है, क्या में उन्हें ऊपर भेज दूँ?

में : हाँ भेज दो वो मेरी दीदी है. didi chud gayi

फिर गार्ड ने कहा कि ठीक है साहब जी और वो सीधे मेरे फ्लेट पर आ गई. पहले तो मैंने उसको गले लगाया और जन्मदिन की बधाई दी और जन्मदिन के उपहार में उसको दारू की बोतल गिफ्ट कर दी.. वो खुश हो गई और उसने मुझे ज़ोर से लिप किस किया.. हम दोनों सोफे पर बैठ गये और बातें करने लगे. करीब 7.30 बजे मानसी ने बोला कि आओ अब हम जश्न मानते है. तो में भी मान गया फिर मानसी ने दारू की बोतल खोली और दोनों का पहला पेग बनाया.

हम दोनों ने चियर्स किया और पहला पेग पी गए.. ऐसे ही हमने 4-4 पेग पी लिए और अब धीरे धीरे मानसी को नशा चड़ रहा था और जब वो 5 पेग पी रही थी तो उसका ग्लास गिर गया और दारू उसके टॉप पर गिर गई और वो तो इतने नशे में थी कि उसको कुछ पता ही नहीं चल रहा था. फिर वो मुझसे बोली कि प्लीज मुझे साफ कर दो. मैंने उससे कहा कि में नहीं कर सकता.. इसके लिए तुम्हारा टॉप भी खोलना पड़ेगा. तो वो बोली कि प्लीज तुम कुछ भी मत सोचो और तुम जैसे चाहो इसे साफ करो और फिर मैंने उसका टॉप उतारा और उसको खोलते ही मुझे ब्रा के अंदर उसके बहुत बड़े बड़े मुलायम बूब्स नजर आए.. जिन्हें देखकर मेरा मन उन्हे पकड़ कर चूसने का हो रहा था और अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था और मैंने टावल से उसके गोरे गोरे जिस्म को बहुत धीरे से साफ कर दिया और उसके जिस्म को देखता रहा.

Chudai katha

तभी वो बोली कि क्या अब घूरते ही रहोगे या कुछ करोगे भी? प्लीज मेरी ब्रा भी उतार दो..

में भी नशे में था.. didi chud gayi

लेकिन फिर भी अपने पूरे होश में था. मैंने ज्यादा देर ना करते हुए एक ही झटके में उसकी ब्रा को उतार दिया और अब उसके बड़े बड़े आम जैसे बूब्स एकदम मेरे सामने थे.

में हल्के से उनके बूब्स को हाथ लगाकर साफ करने के बहाने से छूकर महसूस करने लगा और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था और मैंने बूब्स को साफ करते करते थोड़ी दारू जानबूझ कर उसकी जीन्स पर डाल दी और मैंने कहा कि दारू तो तेरी जीन्स पर भी गिर गई है अब क्या करूं? तो उसने कहा कि इसको भी उतार दो और फिर मैंने धीरे धीरे एक एक करके उसके सभी कपड़े उतार दिए.

मैंने जब उसकी पेंटी को छुआ तो वो चूत रस में एकदम गीली थी और में समझ गया कि इसको भी मेरे छूने से जोश आ रहा है.. लेकिन उसके पूरे कपड़े उतारते ही मेरा तो जैसे दारू का नशा ही उतर गया हो और मैंने धीरे से अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.

फिर में अपना लंड उसके मुहं के पास ले गया और उसको बोला कि लो लॉलीपोप चूस लो.. तो वो भी नशे की हालत में मेरे एक बार कहने से ही मान गई और मेरे लंड को पूरा अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और में उसकी गीली एकदम गरम चूत में उंगली कर रहा था और धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी तो उसको बहुत दर्द होने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी. तो में समझ गया कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है और आज में पहली बार उसकी चूत पूजन करूँगा. फिर जब में झड़ने वाला था तो मैंने लंड उसके मुहं से बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य एक ग्लास में निकाल दिया और उसी ग्लास में एक और पेग बनाकर मानसी को पिला दिया और वो बड़े मज़े लेकर पी गई और में उसकी चूत चाटने लगा.

वो थोड़ी ही देर में गरम हो गई और उसकी चूत से पानी भी निकल रहा था.. didi chud gayi

लेकिन उसको थोड़ा सा भी होश नहीं था कि उसके साथ क्या क्या हो रहा है और फिर मैंने थोड़ी देर बाद उसे एक पेग बनाकर और पिला दिया और फिर उसे गोद में उठाकर अपने बेडरूम में ले आया और बेड पर लेटा दिया और मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत का मुहं थोड़ा खुल गया और मुझे उसकी चूत का दाना साफ साफ दिखने लगा.

फिर मैंने अपना लंड उसकी गरम चूत पर रखा और अंदर डालने लगा.. लेकिन मेरा लंड उसकी टाईट चूत के अंदर नहीं जा रहा था. मैंने उसकी कमर को अच्छी तरह कसकर पकड़ा और लंड को चूत के मुहं पर रखा और एक ज़ोर का धक्का मारा.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर चला गया और मानसी के मुहं से एकदम ज़ोर से चिल्लाने की आवाज बाहर आ गई.. लेकिन अब उसका भी दारू का सारा नशा उतर गया और जब मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था.. आँख से आंसू निकल रहे थे, सांसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी, वो पूरी पसीने से गीली हो चुकी थी और अब उसके मुहं से गाली भी निकलने लगी थी.

मानसी : साले हरामी कुत्ते की औलाद.. तूने यह क्या किया? मुझे थोड़ी सी दारू पिलाकर चोद डाला. मेरी प्यारी कुंवारी चूत को फाड़ डाला.. अपने इस जानवर जैसे लंड को बाहर निकाल.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

में : साली रंडी तेरी चूत है ही इतनी मस्त और तू ही तो मुझे बोल रही थी कि उतार दो मेरे सारे कपड़े और अब अगर एक प्यासे लंड के सामने कोई भी चूत आएगी तो वो बिना चुदे तो जाएगी ही नहीं.

यह बोलते हुए में धीरे धीरे लंड को धक्के देकर उसे चोदने लगा. वो कुछ बोलना चाह रही थी.. लेकिन अपनी चुदाई के दर्द के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी.. वो तो बस अह्ह्ह उह्ह्हह्ह बाहर निकाल इसे प्लीज अह्ह्ह सिसकियाँ ले रही थी और में लगातार ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहा था और मेरे लंड के चूत के अंदर बाहर होने से पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थी और कुछ मिनट के धक्को के बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
में : क्यों री रांड अब तो तुझे मेरे लंड से चुदाई करने में मज़ा आ रहा है ना?

मानसी : हाँ अह्ह्ह्ह उह्ह्ह और चोदो मुझे और चोदो.. पूरी फाड़ दो आज मेरी चूत को अह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से.

फिर में तो जैसे उसकी वो आवाज़ सुनकर पागल सा हुआ जा रहा था.. आईईइ अह्ह्ह हाँ और तेज चोदो मुझे जानेमन चोदो और तेज़ चोदो.. मुझे आज चोदकर एक औरत बना दो. फिर मैंने अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी.. लेकिन इसी बीच वो दो बार झड़ चुकी थी और जब 10 मिनट के बाद में झड़ने वाला था तो मैंने पूछा कि वीर्य कहाँ पर निकालूँ?

मानसी : मेरी प्यासी चूत में ही डाल दो और आज इसकी आग बुझा दो. didi chud gayi

तो मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया और बहुत थककर बेड पर लेट गया हमने उस रात को और भी बहुत दारू पीकर फिर से दो बार चुदाई की और थककर ऐसे ही नंगे सो गए. दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने एक बार और उसकी चूत में लंड डाला और उसे चोदा.. लेकिन अब वो बड़े आराम से पड़ी रही और मेरे लंड का मज़ा लेती रही.. क्योंकि रात भर चुदाई से उसकी चूत फट चुकी थी.. जिसकी वजह से मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. उस दिन हम दोनों कॉलेज भी नहीं गए और पूरे दिन नंगे ही पड़े रहे. दोस्तों अब मानसी हर कभी मेरे फ्लेट पर चुदवाने के लिए आ जाती है और में भी उसको बहुत चोदता हूँ.