चाचा के लड़की ने मिटाई मेरी वासना

जब में दिल्ली में पढ़ता था और दोस्तों से ढेर सारे किस्से सुनता था। कुछ दोस्तों की गर्ल-फ्रेंड थी और वो उनके मुम्मे दबाते थे या उनकी किस लिया करते थे। मुझे भी यह सब सुन कर बहुत ज़रुरत महसूस होती थी कि मैं भी किसी लड़की के साथ वो सब करूं। मैं मुठ तो मारता ही था तो शरीर की ज़रूरत तो पूरी हो जाती थी पर हमेशा एक जिज्ञासा बनी रही कि किसी लड़की के साथ वो सब करके कैसा लगेगा। desi gand chudai

मेरे एक चाचा हैं जिनकी लड़की कीर्ति मेरी हम उम्र है और लड़का तन्मय मुझ से ४ साल छोटा है। वो लोग जींद में रहते थे और अक्सर छुट्टियों में हम उनके घर जाते थे या फिर वो सब लोग हमारे घर आ जाते थे। गर्मियों की छुट्टियों में भी ऐसा ही होता था। चाचा ज्यादातर २-३ दिन रूककर वापिस चले जाते थे और चाची, तन्मय और कीर्ति हमारे साथ ३-४ हफ्ते बिताते थे। ऐसा काफी सालों से चल रहा था और हम सब आपस में बहुत घुल मिल गए थे।

यह बात २०१४ की जून की हे। desi gand chudai

चाची विथ फॅमिली हमारे घर आई हुई थी। मैं कीर्ति से पूरे २ साल के बाद मिल रहा था। मैंने नोटिस किया की वोह अब बड़ी हो गयी थी और उसके मम्मे भी बड़े साइज़ के हो गए थे। लेकिन मेरे मन में कोई बुरा विचार नहीं था। फिर भी मैं थोडा हैरान था कि २ साल में उसके मम्मे कहाँ से आ गए।

पहले २-३ दिन तो हम सब खेलते रहे- मोनोपोली, ताश, लूडो, लुका-छिपी वगैरह। हमारे घर के सामने कुछ नए गवर्नमेंट मकान बन रहे थे। लुका छिपी खेलते हुए हम लोग अक्सर उन्हीं मकानों में छुप जाते थे। वहाँ कुछ घर पूरे बन गए थे और कुछ आधे ! किसी भी कमरे में दरवाज़े नहीं लगे थे तो खेलना आसान था। तो हम लोग कभी किसी स्टोर-रूम में, तो कभी किसी टंकी के पीछे, तो कभी दीवारें टाप कर खुद तो आउट होने से बचाते थे।

ऐसे ही एक दिन शाम को हम सब कालोनी के बच्चे लुका-छिपी खेल रहे थे। कीर्ति और मैं योजना बना कर के खेलते थे ताकि हम पकड़े न जाएँ। वो और मैं एक छोटे स्टोर रूम में छुप गए। वो स्टोर रूम एल आकार का था और हम उसके छोटे वाले कोने में थे। अचानक मैंने देखा कि जिस लड़के की बारी थी वो हमारी ही तरफ आ रहा था।

मैं छुपने के लिए और साइड पे हो गया। desi gand chudai

मैंने इशारे से कीर्ति को बता दिया कि वो इसी तरफ आ रहा था। वो भी सांस खींच कर अन्दर को हो गई। मैं भी और पीछे होने लगा और अब मेरी कोहनी और हाथ उसकी साइड बॉडी से छू रहा था। मेरी बाजू को कुछ नर्म नर्म सा लगा और मुझे जानते हुए समय नहीं लगा कि उसके मम्मे मेरे हाथ से दब रहे हैं। उसने कुछ नहीं कहा और मैं भी ऐसे ही खड़ा रहा। वो लड़का कोई दो मिनट आस पास घूम कर चला गया पर उसे हम नहीं दिखे।

वो तो चला गया लेकिन मैंने अपनी जगह नहीं बदली। मैं उसके साथ ही चिपका रहा। मेरा दिमाग सुन्न हो गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। कुछ ५ मिनट के बाद मैंने कहा- लगता है कि अब वोह लड़का चला गया है। यह कह कर मैं बाहर आ गया। मैं कीर्ति से नज़र नहीं मिला रहा था क्योंकि मुझे लगा कि कहीं वो मेरी हालत समझ न जाए।

रात को मुझे नींद नहीं आई। बार बार वही नर्म-नर्म स्पर्श का ख्याल आ रहा था। बिलकुल अजीब सा अहसास था। २-३ दिन ऐसे ही निकल गए और कुछ ख़ास नहीं हुआ। फिर एक रोज़ कीर्ति नहा रही थी और मेरी मेरी मम्मी और चाची बोली- हम ज़रा मार्केट जा रहे हैं।

तन्मय जिद करने लगा कि मैं भी साथ जाऊँगा तो चाची ने उसे भी ले लिया। वो तीन घंटे से पहले नहीं आने वाले थे। अब मैं घर पे अकेला ही था और कीर्ति बाथरूम में नहा रही थी। उसे नहाने में पूरा एक घंटा लगता है। मैं बोर हो रहा था तो मैंने कीर्ति को बोला- मैं ज़रा अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और एक घंटे तक आऊँगा। बाहर से ताला लगा दूंगा। कीर्ति बाथरूम से ही चिल्ला कर बोली- ठीक है।

मैं अपने पड़ोस के दोस्त के घर गया पर उनके यहाँ ताला लगा हुआ था। मैं वापिस आ गया और कमरे में आकर लेट गया। कीर्ति दूसरे कमरे के बाथरूम में नहा रही थी और उस कमरे का दरवाजा खुला था। मेरे कमरे से ऐसा एंगल था कि मैं बाथरूम से निकलते हुए कीर्ति को देख सकता था। मैंने चादर ले रखी थी और आँखें आधी बंद थी तो ऐसा ही लगता था कि मैं सो रहा हूँ। दोस्तों आप ये कहानी हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है l

कुछ २० मिनट बाद मैंने देखा कि कीर्ति ने बाथरूम का दरवाजा खोला। desi gand chudai

उनसे केवल ब्रा और पैंटी ही पहन रखी थी। उसने सोचा होगा कि कोई घर पर हैं नहीं तो सूट बाहर आकर पहन लेती हूँ। उसको ऐसा देख कर मेरा तो दिमाग हिल गया। मैं उसी पोजिशन में लेटा रहा ताकि उसे शक न जो जाए। कीर्ति ने मुझे लेटा देखा तो अचानक सकपका गई पर जब उसने देखा कि मैं सो रहा हूँ तो उसने दरवाजा बंद किया और अपना सूट पहन लिया। मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप में देखा था।

उस रात फिर मुझे नींद नहीं आई और मैंने रात को उठ कर दो बार मुठ मारी। मेरे ख्याल में कीर्ति की नंगी काया ही थी। अगले पूरे दिन उसकी लम्बी टांगें और गोल-गोल मम्मे मेरी आँखों में घूम रहे थे। मैं कीर्ति को देख रहा था और उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे और टांगों का नज़ारा ले रहा था। दोस्तों आप ये कहानी हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है|