College me chudai kahani मेरा नाम हीना हे ओर मे 20 साल की इंजिनियरिंग स्टूडेंट हूँ मैने इन स्टोरियों को अभी कुछ दिनो से पढ़ना शुरू किया है तो सोचा अपनी लाइफ की रियल स्टोरी भी शेयर करूँ। में बी.टेक II ईयर की स्टूडेंट हूँ ये कहानी आज से करीब 1 साल पहले की है जब मे I ईयर मे थी दोस्तो पहले मे आपको अपने बारे मे बता दूं मे दिखने मे काफ़ी खूबसूरत हूँ.
ऐसा मेरी फ्रेंड्स कहती है ओर शायद सच ही कहती है क्योंकि मेने हमेशा लड़को को अपने आस पास फिरते देखा मेरा फिगर भी काफ़ी आकर्षक है 36-28-36 मेरी फ्रेंड्स और ये भी कहती है की तुझे मॉडल होना चाहिये था मेरे बूब्स स्कूल टाइम से ही थे लेकिन कभी सेक्स तक बात नही पहुंची और लड़को से बस किस और बूब्स प्रेस तक ही बात सीमित रही मे भी डरती थी की कहीं कुछ प्रोब्लम ना हो जाये तो मेने आगे नही बढ़ने दिया किसी को यहाँ एड्मिशन के टाइम हॉस्टल की सीट्स फुल हो जाने की वजह से मुझे हॉस्टल मे रूम नही मिल सका ओर बाहर किराये पर रूम लेना पड़ा.
अब्बू ने ये देखकर ही किराये पर रहने की इजाजत दी की वहाँ लड़के नही थे सिर्फ़ लड़कियाँ ही थी खेर किसी तरह सेट्ल हो गई मे भी लेकिन मेरा कॉलेज जाने का मन नही करता था क्योंकि मेरी कोई दोस्त भी नही थी ओर ए.सी ब्रांच थी मेरी तो सभी लड़के ही थे तो मे बोर हो जाती थी ये बात अलग है की लड़के सभी मेरे पीछे ही पड़े रहते थे लेकिन मेरा मन नही करता था क्लास में जाने का और लेक्चर्स बोरिंग लगते थे मुझे लेकिन मेरी इस लापरवाही से मेरी उपस्थिती शॉर्ट हो गई मेरा नामे डीटेंड लिस्ट मे आ गया यानी वो स्टूडेंट्स जिन्हे परीक्षा ही नही देने दी जायेगी मेरी तो हालत खराब हो गई परीक्षा ना देने का मतलब था की मेरा 1 साल बर्बाद चला जाता अब्बू अम्मी को क्या कहूँगी मे यही सोच कर मे टेन्शन मे आ गई.
सभी टीचर्स से रिक्वेस्ट की मेने लेकिन कोई सुनने को तैयार नही था सभी का कहना था की अब तो सिर्फ़ डाइरेक्टर सर ही कुछ कर सकते है लेकिन मेरी हिम्मत नही हो रही थी उनके सामने जाने की फिर मेरी एक सीनियर ने समझाया तो डाइरेक्टर से मिल ले नही तो फैल होने के लिये तैयार रहना मेने दिल को कड़ा करके उनसे मिलने का फेसला किया मिलने से डर इसलिये लग रहा था क्योंकि काफ़ी स्ट्रिक्ट थे वो आर्मी से रिटायर्ड थे करीब 6’6” फुट लंबे ओर काफ़ी भारी शरीर के व्यक्ति थे हमेशा गुस्से मे ही लगते थे लेकिन अब मेने फेसला कर लिया तभी मेरी 1 फ्रेंड ने मुझे उनके बारे मे ये बताया की डाइरेक्टर सर लड़कियों की तरफ़ कुछ ज़्यादा ही ध्यान रखते है कई बार पहले उनके रिलेशन सुनने को मिले है कॉलेज की लड़कियों से अगर तू उन्हे फंसा सके तो समझ काम हो गया तेरा। मेने उसके सामने तो उसे डाट दिया की मे ये सब नही करने वाली चाहे फैल होना पड़े.
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फिर रात भर सोचने के बाद मुझे लगा की यही एक रास्ता है मगर प्रोब्लम तो ये थी की बात केसे वहाँ तक पहुचें खेर मेरी एक फ्रेंड ने मुझे सलाह दी की ऐसे कपड़े पहनना जिनसे आकर्षित हो सके तो मेने भी तैयारी शुरू कर दी मेने आज ब्रा नही पहनी थी एक काले कलर की टाइट टी-शर्ट वो भी बड़े गले की पहन ली इससे मेरी 36 साइज़ के बूब्स बाहर आने के लिये तड़पने लगे ओर क्योंकि टी–शर्ट हल्के कपड़े की थी तो मेरे निपल का शेप भी दिख रहा था नीचे मैने टाइट ब्लू जीन्स पहनी थी जिसमे मेरी 28 की कमर ओर 36 की गांड बाहर निकलने को तैयार थी जेसे ही ये पहन कर बाहर निकली सभी मुझे घूर कर देखने लगे किसी तरह नज़र नीची करके मे पहुँच गई डाइरेक्टर सर के ऑफिस मे डाइरेक्टर सर कोई फाइल पढ़ रहे थे उनकी नज़र नीचे ही थी मेने पर्मिशन ली अंदर आने की ओर उनको विश करके आपनी प्रोब्लम बताई.
उन्होने बिना देखे ही मुझे साफ कह दिया की मे इसमे कुछ नही कर सकता ऐसे ही करने लगा तो नियमों का क्या फायदा। जाओ यहाँ से मेरा तो एक बार दिल ही टूट गया लेकिन मेने अभी हिम्मत नही हारी थी अभी तो अपना हथियार भी इस्तेमाल नही किया था मे आगे बढ़ कर उनके पेरो को पकड़ कर उनसे रिक्वेस्ट करने लगी ऐसा करते ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी ओर मेरी जवानी को देख कर तो एक बार तो वो अपनी पलक झपकाना ही भूल गये मे भी उनकी आँखो मे देखते हुये रिक्वेस्ट कर रही थी.
अब मे उठ तो गई लेकिन झुक कर उनके पैर को पकड़े रखा बड़े गले की टी-शर्ट होने के कारण मेरी चुचियां बाहर निकलने को फड़फड़ाने लगी 1/3 हिस्सा बाहर झूलने लगा सर का तो दिमाग़ ही काम करना बंद कर गया वो तो मेरी रिक्वेस्ट को सुन ही नही रहे थे बस मेरी चुचियों को देखे जा रहे थे मे ये देख कर थोड़ा शर्मा गई ओर उठ कर सीधी खड़ी हुई तब उनका ध्यान मेरी तरफ़ गया लेकिन फिर भी उनकी नज़रे मेरे बूब्स को ही घूर रही थी मेने भी अब अपना हथियार चलाना उचित समझा मेने कहा सर प्लीज मुझे एक मोका दे दीजिये इसके बदले आप जो कहेंगे वो में करने को तैयार हूँ उनकी आँखे चमक गई कहने लगे लेकिन बेटा मेरी भी तो परेशानी समझो मे क्या जवाब दूँगा सबको। मेने कहा सर मे किसी से नही कहूँगी ओर आपको खुश भी कर दूँगी सर ने कहा खुश केसे? मेने कहा सर आप जो कहेंगे वो कर दूँगी सर देख लो तुम्हे वो करना पड़ेगा जो मे कहूँगा मेने कहा हाँ सर सोच लिया मे तैयार हूँ.
उन्होने कहा ठीक है तो ज़रा मेरे ऑफिस का रूम लॉक करके आओ मे समझ गई थी की अब क्या करने वाले है मे भी चुपचाप बिना कुछ पूछे रूम लॉक करके आ गई सर चलो अपनी टी-शर्ट निकालो ज़रा मे पहले से ही तैयार थी मेने चुपचाप अपनी टी-शर्ट अपने बदन से अलग कर दी टी-शर्ट निकालते ही मेरे बूब्स आज़ाद हो गये ओर सर के सामने तन कर खड़े हो गये सर की तो नज़रे ही चिपक गई ओर उनके मुँह से निकाला ऐसी चूंचियां मेने अपनी लाइफ मे नही देखी है मे कुछ ना बोली लेकिन तारीफ सुन कर खुश हो गई सर ने मुझे अपने पास बुलाया ओर मेरा हाथ खीच कर अपनी गोद मे बिठा लिया मे अचानक हुये हमले से सहन गई इधर सर ने मेरे बूब्स को थाम लिया ओर एक को मसलने लगे ज़ोर ज़ोर से दूसरे को चूसने लगे मुझे उनसे इतनी जल्दी की उम्मीद नही थी उनके इस हमले से मे तड़प उठी ओर मेरे अंदर का नारीपन भी जाग उठा.
अब मे भी मस्ती लेने के मूड में आ गई उनका लंड मेरी गांड के नीचे दबा हुआ फंफना रहा था इधर सर ने अपना हाथ मेरी चूंची से हटा मेरी जीन्स के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगे लेकिन टाइट होने के कारण नही घुस रहा था तो मेने बटन खोल दिया ओर थोड़ा उठ कर अपनी गांड के नीचे सरका दिया इधर सर भी अपना लंड निकाल कर बेठ गये मेरी नज़र उनके खड़े हुये लंड पर पड़ी तो मे तो डर गई करीब 8 इंच लंबा लंड था उनका सर ने मेरी पेंटी भी सरका दी नीचे ओर मुझे अपने लंड पर ही बिठा दिया.
उनका लंड मेरी जांघो के बीच मे फँसने लगा सर ने फिर से अपना काम शुरू कर दिया मेरी दूसरी चूंची को चूसने लगे ओर मेरे होठो को चूसने लगे मे भी गर्म हो चुकी थी उसकी वजह थी की उनका मोटा लंड जो मेरी जांघो के बीच में बेठ कर मेरी चूत को रग़ड रहा था लेकिन तभी मुझे याद आया की मेरा असली मिशन क्या है कहीं सर मुझे चोद कर भूल ना जाये तो मेने सर को कहा सर आप पहले मुझे पर्मिशन दे दो परीक्षा के लिये सर ने कहा मेरी रानी ये कोन सी बड़ी बात है उन्होने फोन उठाया ओर ऑफीस मे मेरा नाम लेकर उन्हे निर्देश दे दिये ओर अपने पास पड़ी डीटेंड लिस्ट मे से मेरा नाम काट दिया ओर कहा की लो अब तो खुश होना और अब जब बाहर जाना तो अपना एड्मिट कार्ड ले लेना ऑफीस जाकर मे खुश हो गई.
अब मे आराम से सर को सब कुछ करने देने को तैयार थी सर ने इधर फिर से अपना मिशन स्टार्ट कर दिया उन्होने मेरी चूंचियो को फिर से निचोड़ना शुरू कर दिया लेकिन तभी किसी ने डोर बजाया हम दोनो के ही होश उड गये सर ने मुझे उठाया ओर कहा की जाओ अपने कपड़े लेकर बाथरूम मे छुप जाओ मे जल्दी से भाग कर बाथरूम मे छुप गई इधर थोड़ी देर मे डोर ओपन होने की आवाज़ आई ओर उनकी बात सुन कर लगा की वहा का ही कोई है जो मेरी ही बात कर रहा है मतलब क्लियर कर रहा था की एड्मिट कार्ड दे या नही तो सर ने कहा हाँ दे देना वो चला गया.
सर ने फिर मुझे आवाज़ दी मे निकली तो सर ने कहा की अभी जाओ यहाँ से ओर ये बताओ की रात को मेरे साथ चल सकती हो? मेने कहा ठीक है सर मुझे कोई प्रोब्लम नही है तो सर ने कहा की ठीक 7 बजे मुझे कॉलेज के बाहर मिलो मे पिक कर लूँगा तुम्हे कार से फिर मेरे फार्म हाउस पर चलना है तुम्हे मेने कहा ठीक है सर उन्होने जाते-जाते कहा की अपना एड्मिट कार्ड ऑफिस से ले लेना मे खुश होकर बाहर निकली ओर ऑफीस जाकर एड्मिट कार्ड ले लिया