हेलो फ्रैंड्स, मेरा नाम कमल है. मैं एक शादी-शुदा आदमी हूँ. मैं सेक्स में काफी एक्टिव हूँ पर मेरी बीवी को सेक्स में कम रूचि है. उसके बूब्स भी छोटे हैं और चुदाई में जोश भी कम है उसका. चुदाई के दौरान वो जल्दी थक जाती है. हमारी सुहागरात में जैसे हो मैंने अपने सांड जैसे बड़े मोटे लंड को उसके चुत में डाला और चोदने लगा, वो डर के मारे रोने लगी थी. उसकी इतनी दर्दनाक चुदाई की थी मैंने की ५ दिन तक सीधे चल नहीं पाई थी वो. Rasili bhabhi ki choot ki chudai ki desi kahani padhne ke liye thanks!
चुदाई के वजह से उसको बुखार आ गया था. एक चुदाई में उसका ये हाल हुआ. मेरा तो खड़ा लंड सो गया उसके ठन्डे रिस्पांस से.
खैर, मैं बड़े और मोटे बूब्स वाली औरतों के लिए हमेशा रेडी रहता हूँ. मुझे ऐसे औरतों को चोदने की इच्छा हमेशा से थी, पर नसीब ही ख़राब था, जो मुझे नीम्बू जैसी बूब्स वाली बीवी मिल गयी.
मेरी चुदाई और मेरे हब्शी लंड के किस्से बीवी ने मायके में फैले दिए थे. उसकी माँ (मेरी सास) और उसकी भाभी को उसने बताया की कैसे मेरे मोठे हब्शी लंड ने उसके चलना फिरना दुश्वार कर दिया था.
क्या पता था की मेरे बीवी की मेरे लंड के कारनामे बताने से उसकी भाभी चुदने के लिए मर मिटेगी मुझपर.
उसकी भाभी मेरे बीवी की एकदम अपोजिट थी. गाओं का गठीला बदन, उभरे हुए बूब्स, मस्त मतवाली गांड और सेक्सी कमर, और उसकी पति एकदम लल्लू.
मुझे बाद में पता चला था के भाभी का पति छोटे लंड वाला था. उसके लंड छोटा होने के वजह से वो भाभी को ठीक से चोद नहीं पाटा था और अक्सर उनके बीच में झगडे होते थे. उसका पति शक्की मिजाज़ का हो गया था. उसे डर था के कही उसकी बीवी (सेक्सी भाभी – उनका नाम प्रज्ञा था) किसी और के लंड से चुदवा न ले.
भाभी बेचारी एक अलग ही समस्या से गुज़र रही थी. एक बच्चा होने के बाद उसके छोटे लंड वाला पति उसकी चड्डी भी नहीं उतारता था. भाभी अपनी कामवासना और चुदाई की इच्छा दिल ने दबा कर ज़िन्दगी जी रही थी.
भाभी की गाओं की साहिलियाँ जब अपने-अपने पति के लंड का साइज उनको बताती, तो उनका दुःख और बढ़ जाता.
मेरी सास अपनी बहु की समस्या जानती थी, लेकिन क्या करती..
फिर आयी होली.
प्रज्ञा भाभी का पति के दोस्तों के साथ होली खेलने चला गया. पीछे से उसके कुछ दोस्त आये। भाभी की उनको चाय नास्ता दिया. वो सब खा कर भाभी को गालों पर रंग लगाने लगे.
उसके बाद वो सब उनके पति से जब मिले तो मज़ाक-मज़ाक में बोल दिया की हम तेरे घर पर होली खेल के आ रहे हैं. भाभी से पूछने कहा कहा रंग लगाया है हमने.
उनके जाने के बाद पड़ोस की आंटी आयी प्रज्ञा की रंग लगाने. आंटी मस्तमौला थी. उन्होंने प्रज्ञा भाभी के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उनके सफ़ेद ब्रा पर रंग लगा दिया.
दोनों ने मस्त होली खेली.
दोपहर को प्रज्ञा का पति दारू पि कर आया. तब तक प्रज्ञा नहा चुकी थी. वो नहाने के लिए बाथरूम में गया और प्रज्ञा की सफ़ेद ब्रा पर रंग के निशाँ देखकर आग बबूला हो गया. ब्रा के दोनों कप्स पर हाथ के निशाँ थे.
फिर उसने प्रज्ञा की पंतय चेक की. उसपर भी रंगवाले हाथ की निशाँ थे. आगे और पीछे भी!
वो गुस्से से पागल हो गया और भाभी से गाली-गलोच करने लगा.
उसको लगा ये सब काम उसके दोस्तों ने कर दिया है तभी मेरा वहा पहुचना हुआ दोनो खूब झगड़ रहे थे प्रज्ञा भी बोल पड़ी मेरी जवानी तुम्हारे तो किसी काम की नही किसी के काम आयी तो क्या हुआ मामला बहुत गर्म था जैसे तैसे ठंडा किया और समझाया कुछ दिन बाद मैं पत्नी को लेने ससुराल गया वहां एक दोस्त बहुत दिनों बाद मिल गया वो भी मेरे साथ ससुराल आ गया पत्नी और सासु जी दोनो किसी काम से बाजार निकल गए दोस्त मोहन जाट फोटोग्राफर था और जिम ट्रेनर भी लंबा पूरा गोरा हैंडसम बिल्कुल जॉन इब्राहिम जैसा दिखता था….
प्रज्ञा भाभी उस पर खूब लटकी उसके आगे पीछे घूमने लगी बात बात मैं उसको कई बार आंख मारी उसके जाने के बाद मैंने ड्रिंक करने बैठा प्रज्ञा ने मुजे किचन के पास वाले रूम मैं ही बैठने का फोर्स किया मैं समझ नही पा रहा था कि ये अचानक दीवानी क्यो हो रही है वो बहुत खुश थी मैंने ड्रिंक करना शुरू किया वो किचन मैं से मुजे देख देख मुस्कुरा रही थी मैंने उसको अपने पास बुलाया वो इठलाती बल खाती आई मेरे पूछने पर उसने बताया कि आप अपनी पत्नी से संतुष्ट नही मैं मेरे पति से तो मम्मी ने और दीदी हैम तीनो ने फैसला किया कि आप मम्मी जी और मुजे अब कभी भी मौका मिलते ही आप चोदना चाहये तो चोद सकते है घर की इज्जत घर मे ही रहे गी..
प्रज्ञा ने अपने ब्लाउस के हुक खोल कर अपनी सांवली नंगी बड़ी बड़ी छातियां मेरे सामने कर दी मैं भी उसकी बड़े बुब्ब्स को चूसने लगा प्रज्ञा बेहद उत्तेजित हो उठी वो मेरी पेंट खोलने की कोशिश करने लगी जब मैंने मेरा लण्ड निकाल कर उसके हाथ मे दिया वो उस पर अपना प्यार लुटाने लगी तभी उसके पति का फोन आया काफी देर तक नही उठाने पर मैने बोला उठाने को वो मेरे लण्ड को हाथ मे लेकर पति …इतनी देर हो गयी फोन उठाने मैं ….प्रज्ञा भाभी …अपने यार का लण्ड चूस रही हु ..पति ….नाराज़ हो …होली के दिन से ….प्रज्ञा मेरे लण्ड के टोपे को आवाज निकाल कर चाटने लगी बोली 30 मिनट बाद फोन लगाना यार से अपनी चुत चुदवा लू फिर …पति ….मजाक मत करो अरे …उसदिन …तुम्हारी ब्रा पर पंजे के निशान थे तो प्रज्ञा …..तो …क्या …तुम्हारा खड़ा नही होता तो इस मैं मेरी गलती है पति ….अरे नही …उस दिन मैं गलत था प्रज्ञा ….नही उस दिन तुम सही थे तुम्हारे दोनो दोस्तों ने मेरे बोबे चूसे भी दबाये भी और पेंटी मैं मेरी चुत मैं उंगली घुसा कर रंग लगाया था और आज के बाद मैं अपनी इच्छा से किसी से भी चुड़वाओ तुम कुछ नही बोलो गे पति ….मेरी इज्जत का क्या होगा प्रज्ञा …तुम्हारी इज्जत मेरे चुप रहने मैं ही है ….वार्ना मैं अभी मेरे पापा को फोन लगती हु तुम ईज्जत के साथ यहाँ रहना पति ….
अब इस मैं पापाजी कहा से आ गए चलो जब तक मैं ठीक नही होता हूं मैं तुम्हे कुछ नही कहुगा प्रज्ञा ….मैं आप की थी आप की ही रहूंगी लेकिन आप जानते हो आप मेरी मजबूरी समझते हो आज तक मैन ऐसा बोला क्या पति ….हा नही बोला लेकिन मैं समझता हूं प्रज्ञा .. आप को मेरी छोटी बहन आशा पति …हा हा प्रज्ञा …अपनी शादी के बाद यहाँ आयी थी तब आपने उसके निम्बू कई बार दबाये थे पति …अरे …वो ….तो प्रज्ञा …मैं भी चुप थी न समझो यार पतिदेव पति की आवाज भारी होने लगी थी आशा के नाम से प्रज्ञा …
16 साल की उफनती जवानी है जानू कुछ समझे पति ….ओ हा हा समझ गया प्रज्ञा …मजे लेना 16 साल की कुंवारी के मुजे भी मजे लेने दो आप की बीमारी ठीक हो जाये तो पक्का मंगलसूत्र की कसम पति …लेकिन ये बात हम दोनों मैं ही रखना और प्रज्ञा को पति की भी सहमति मिल गयी मैं ….वो ब्रा पर निशान प्रज्ञा …..मैंने खुद ही लगाए थे वो अपनी दोनों छातियों के बीच मैं मेरे लण्ड को मालिश करती बोली मैं .. मतलब उन लड़को से ….प्रज्ञा ….नही मेरा कोई संबंध नही है मैं …तो ये सब नाटक क्यो …प्रज्ञा …इनका बहुत छोटा है फिर एक डिलेवरी के बाद ये मुजे तेरी ढीली हो गयी बोल कर करते नही थे खड़ा इनका नही होता और रंडी मुजे बोलते हर सुंदर मर्द से मेरा नाम जोड़ते मैं भी सुनते सुनते पक गयी एक दिन दीवाली के समय इन्होंने एक लड़के को साफ सफाई के लिए पास की जुग्गी से घर भेजा वो बहुत काला लेकिन लंबा मजबूत था धूप दिन भर रोड और मकान का काम करता था पहले दिन ही उसकी कसी हुई मजबूत मांसपेशियों को मैने काम करने के दौरान महसूस किया वो एक प्रकार का नीग्रो जैसा था..
Chudayi stories दोस्त की कुंवारी बहन को पेला
बहुत ताकत थी उस मैं उसने 100 किलो का बोरा (बेग)सिर्फ एक हाथ से उठा कर ऊपर रख दिया शाम को जब वो आज का काम पूरा कर बाथरूम के बाहर हाथ मुह धो रहा था तभी मेरी नज़र उसकी धोती मैं चली गयी मैं उसका मुरझाया हुआ लण्ड देख कर चकित रह गयी काला स्याह लण्ड मेरे पति के खड़े लण्ड से दो गुना लंबा और मोटा उसके लण्ड का टॉप भी हथौड़े के जैसा गोल मोटा ऐसा लण्ड सिर्फ आजतक विदेशी नंगी फिल्मो मैं नीग्रो का ही देखा था मेरी निप्पले कल्पना मात्र से ही खड़ी हो गयी थी मेरी चुत मैसे गर्म लावा बह निकला अगले दिन मैंने ज्यादा खुले गले का ब्लाउस पहना उस समय मेरे दिमाग मे सिर्फ उसका खड़ा लण्ड देखने की इच्छा थी स्टोर रूम की ऊपर की सफाई के लिए उसको स्टूल पर ऊपर खड़ा कर मैं स्टूल पकड़ खड़ी हो गयी..
अपने ब्लाउस के ऊपर के दो बटन भी मैने खोल रखे थे साड़ी का पल्लू भी पिन से नही लगाया था पल्लू नीचे गिराया और उसको अपनी आधी खुली छातियों के दर्शन कराए वो मेरे ब्लाउस मैं झांक रहा था मैं उसकी धोती मैं काला लण्ड अब फूलने लगा था लगातार बड़ा हो रहा था काफी मोटा और बड़ा हो गया लण्ड का टॉप अजीब था उसका इतना मोटा टॉप तो फिल्मो मैं भी नही देखा था एक छोटे एप्पल की साइज़ का था मैं अपने आप को रोक नही पाई और उसकी जांघो की मांसपेशियों पर हाथ फेरने लगी मैने उसकी आँखों मे देखा शायद वो कन्फर्म ही कर रहा था उसने अपनी धोती की गठान खोल दी अजगर की भांति उसका काला मोटा लंबा लण्ड मेरी आँखों के सामने तलवार की तरह तना हुआ खड़ा था मुजे ये सब सपने की तरह लग रहा था मैने आपा खो दीया और लण्ड के टॉप पर उंगली फेर दी लण्ड जोर जोर से उछलने लगा और तन गया…
तभी मेरे सिर को उस लड़के ने पकड़ा और मेरे चेहरे पर अपना लण्ड का टॉप फेरने लगा मुजे ऐसा लगा मानो स्टील का पाइप मेरे चेहरे को छू रहा हो इतना सख्त मेरे होटो पर उसने टॉप को रखा और सिर पकड़ कर मेरे मुह मैं लण्ड फसा दिया मैं गगगगगग गुऊऊऊUऊ की आवाज निकाली लण्ड चूसने लगी वो फिर स्टूल से उतरा और दोनों हाथों से मेरी छातियां मसलने लगा मैं उसकी गुलाम हो गयी थी कब उसने मेरी साड़ी अन्य कपड़े निकाल दिए पता ही नही चला मैं अब पूरी नंगी थी उसने मुजे अपनी मजबूत बहो मैं उठाया और मैंने गिरने के डर से अपनी नंगी टांगे उसकी कमर पर लपेट दी उसका तलवार जैसा खड़ा लण्ड अपने आप जगह बनाता मेरी चुत मैं समा गया उसका बदबू दार पसीना और बीड़ी की बदबू मेरे नथुनों मैं समा गई..
लेकिन मैं पागलो की तरह उसके गाल चाट रही थी उसने मुजे ऐसे ही खड़े खड़े चुदाई का रस दीया मैं जल्दी झर गयी फिर उसने मुजे नीचे उतारा और अपने लण्ड का पानी मेरे मुह और छाती पर निकाला वो फिर जब तक काम करता रहा रोज मेरी प्यासी चुत को अपना पानी पिलाता उसके बाद मुजे अलग अलग मर्दो का स्वाद लग गया लेकिन मैं डरती थी अब तो लायसेंस मिल गया है अब पति डर गया वो जोर से हँसी और नीचे जमीन पर सो गई मैं उसकी मांसल जवानी का दीवाना उसपर चढ़ गया काफी देर तक प्रज्ञा भाभी की चुदाई करि और प्रज्ञा …जीजा जी मैं अब उसी के साथ मस्ती करू गी जिसे आप इजाजत दो गे