पटेल साहब की पत्नी अंजली का नंबर

Antarvasna, kamukta ऑफिस से थका हारा जब मैं घर लौटा तो मुझे लगा कि आज कविता ने कुछ अच्छा बनाया होगा और मैं इसी आस में घर लौट आया। मैंने कविता से कहा आज तुमने क्या बनाया है तो कविता कहने लगी मैंने तो आज दाल और सब्जी बनाई है। मैंने जब खाने की टेबल पर देखा तो मैंने कविता से कहा परसों ही तो तुमने यह दाल बनाई थी मेरा तो अब खाना खाने का मन हो ही नहीं रहा है। मैंने जब यह बात कविता से कहीं तो कविता के चेहरे का रंग बदलने लगा वह मुझे कहने लगी मैं हर रोज तुम्हारे लिए पनीर तो बना नहीं सकती क्योंकि तुम्हें मालूम है महंगाई आसमान छू रही है और आटे चावल का भाव भी कितना बढ़ गया है तुम तो सुबह अपने ऑफिस चले जाते हो शाम को घर लौटते हो तुम्हें भला क्या पता होगा मैं घर का खर्चा कैसे चलाती हूं तुम तो सिर्फ मुझे 5000 दे दिया करते हो 5000 में क्या महीने भर का राशन का खर्चा चलता है।

कविता की बातें मेरे दिल पर लग रही थी और मैं बेबस होकर उसकी बातें सुनता रहा क्योंकि मेरे पास इन सब बातों का कोई जवाब था ही नहीं मैं कविता को कुछ कह ना सका। मैंने चुपचाप खाना खाया और अपने रूम में लेट गया कविता भी कुछ देर बाद आई और उसका गुस्सा भी शांत नहीं हुआ था वह मेरे बगल में आकर लेट गई और ना जाने अंदर ही अंदर क्या बोल रही थी। उसने चादर को अपने मुंह में ले लिया था और वह मन ही मन कुछ तो कह रही थी। मैं भी लेटा हुआ था लेकिन मैं सिर्फ यही सोचता कि क्या मेरे जीवन में कभी परिवर्तन आने वाला है या सिर्फ ऐसे ही मेरे जीवन की गाड़ी चलती रहेगी। मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि दिन रात की मेहनत करने के बाद भी मैं अब तक अपने जीवन में कुछ तरक्की कर नहीं पाया। साल भर की मेहनत करने के बाद भी बच्चों की फीस और घर के सारे खर्चे में ही सारी कमाई चली जाया करती थी और ऊपर से पत्नी के अलग ताने जिनसे कि मैं परेशान हो जाता था। मुझे बहुत ही ज्यादा दुख था कि मैं अपने जीवन में कुछ कर नहीं पा रहा हूं और उस रात मेरी आंखों से नींद गायब थी। अगले दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो बस का इंतजार करने के लिए मैं बस स्टॉप पर खड़ा था तभी वहां से मेरा एक दोस्त मुझे बड़ी सी गाड़ी में दिखा उसे देख मैं सोचने लगा इसके पास इतने पैसे कहां से आए।

मैंने उसे कहा तुम अभी कहां से आ रहे हो वह कहने लगा मैं तो अभी अपने ऑफिस से लौट रहा हूं। उसकी बड़ी चमचमाती गाड़ी और उसके हाव भाव देखकर तो वह किसी रहीस जादे की संतान लग रहा था उसने मुझे कहा आओ मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफिस छोड़ देता हूँ। मैं उसकी कार में बैठा जब मैं  उसकी कार में बैठा तो मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि किसी वीआईपी की गाड़ी में मैं बैठा हूं। मैंने उससे पूछा तुम क्या कर रहे हो वह कहने लगा मेरा तो अपना बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम है और मैं बिल्डिंग्स बनाने का काम करता हूं। मैंने उसे कहा लेकिन यार तुम तो बिल्कुल बदल चुके हो वह मुझे कहने लगा बस यह मेरी मेहनत का नतीजा है हम दोनों जब तक बात करते रहे तब तक मेरा ऑफिस भी आ चुका था और मैं अपने ऑफिस चला गया। ऑफिस में मैं सिर्फ यही सोचता रहा कि कैसे रोहित ने इतनी तरक्की कर ली है मैं जब शाम को घर लौटा तो वही बस के धक्के खाते हुए घर आया और ना जाने बस में कितने लोगों थे हर रोज मेरा झगड़ा हो जाता था। वह सब मेरे तनाव की वजह से होता था लेकिन अब मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था मुझे सिर्फ अपनी नौकरी ही तो करनी थी। मैंने जब अपनी पत्नी से यह बात बताई कि आज मुझे मेरा पुराना दोस्त मिला था वह पूरी तरीके से बदल चुका है मेरी पत्नी मुझे कहने लगी तुम तो जिंदगी भर बस नौकरी ही करते रहना और कभी कुछ आगे की मत सोचना। मैं अपनी पत्नी से बहुत परेशान हो चुका था क्योंकि उसका साथ मुझे कभी मिला ही नहीं था इसलिए उससे कोई भी बात करना व्यर्थ ही था। मुझे तो कई बार ऐसा लगता है जैसे कि मैं अपने जीवन में कुछ कर ही नहीं पाऊंगा हर रोज की तरह वही ऑफिस और शाम को घर लौटना और पत्नी से झगड़ा अलग।

मुझे एक दिन रोहित ने फोन किया और कहा आज मैंने एक पार्टी रखी है तो तुम उस में जरूर आना मैंने रोहित से कहा यार मैं नहीं आ पाऊंगा। वह कहने लगा मैंने उस दिन तुमसे इसीलिए तुम्हारा नंबर लिया था कि तुमसे मैं बात कर सकूं मैंने रोहित से कहा देखूंगा यदि मेरे पास समय होगा तो आ पाऊंगा नहीं तो मैं कुछ कह नहीं सकता। रोहित कहने लगा ठीक है तुम मुझे बता देना लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि रोहित मुझे अपनी पार्टी में बुला कर ही रहेगा। उसने मुझे कम से कम दो-तीन बार फोन कर दिया था तो मुझे भी लगा कि मुझे रोहित की पार्टी में चले जाना चाहिए और मैं जब रोहित की पार्टी में गया तो वहां पर काफी अमीर लोग आए हुए थे मैं उन्हें देखता तो मुझे ऐसा महसूस होता कि जैसे उनसे मैं बात भी नहीं कर सकता। रोहित मेरे पास आया और बैठ कर मुझसे कहने लगा विमल तुम कुछ ज्यादा चिंतित लग रहे हो तुम पार्टी में आए हो और तुम एक कोने में बैठे हुए हो तुम पार्टी का इंजॉय करो। मैंने भी शराब के दो पैक तो लगा ही लिए थे और मुझे भी अब नशा हो चुका था मैंने रोहित से कहा देखो रोहित तुम जो जिंदगी जी रहे हो वह बिल्कुल अलग है और मेरी जिंदगी तुमसे बिल्कुल अलग है। मैं अपने बच्चों की फीस भी समय पर नहीं भर पाता और घर का खर्चा चलाने के लिए भी मुझे कई बार सोचना पड़ता है अब तुम ही मुझे बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए।

मुझे रोहित कहने लगा तुम यह सब मुझ पर छोड़ दो लेकिन आज तुम पार्टी का इंजॉय करो, मैं रोहित के साथ बैठा हुआ था और हम लोग पार्टी का खूब इंजॉय करते रहे। रोहित ने मुझे अपने कई दोस्तों से मिलवाया उनसे मिलकर मुझे ऐसा लग रहा था कि काश मैं भी उनकी तरह होता। उस दिन मुझे ज्यादा नशा हो गया था तो रोहित ने मुझे घर पर भी छोड़ा और उसके बाद वह वापस अपने घर चला गया। रात को मेरी पत्नी ने मुझे कुछ नहीं कहा लेकिन जब सुबह मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था तो वह मुझे कहने लगी तुम कल रात को इतने नशे में कहां से आ रहे थे और तुमने मुझे बताया भी नहीं कि तुम कल कहां थे। मैंने अपनी पत्नी से कुछ नहीं कहा मैं अपने ऑफिस चला गया मैं जब अपने ऑफिस पहुंचा तो मेरी पत्नी का मुझे फोन आया वह कहने लगी तुम बिना बातये हुए ऑफिस चले गए। मैंने उससे कहा मैं शाम को आऊंगा तो तब तुम से बात करूंगा। जब मैं शाम को घर लौटा तो मेरी पत्नी का मूड अच्छा था वह मुझसे बातें करने लगी मैंने उससे कहा चलो कम से कम आज तुम मुझसे अच्छे से बातें तो कर रही हो। वह मेरे साथ ही काफी देर तक बैठी रही हम दोनों ने उस दिन एक लंबे अरसे बाद शारीरिक संबंध बनाए थे। मैं तो जैसे भूल ही गया था कि मेरी पत्नी भी मेरी इच्छा पूरी कर सकती है। एक दिन मुझे रोहित ने अपने पास बुलाया और कहा तुम नौकरी से रिजाइन दे दो। मैंने रोहित से कहा लेकिन मैं नौकरी से रिजाइन दे दूंगा तो मैं कैसे अपना जीवन यापन कर पाऊंगा। वह मुझे कहने लगा तुम यह सब मुझ पर छोड़ दो और उसके कहने पर मैंने नौकरी से तो रिजाइन दे दिया लेकिन मुझे यह चिंता सताती जा रही थी कि अब आगे मैं क्या करूंगा। रोहित ने मुझे अपने साथ ही अपनी कंपनी में काम पर रख लिया था और वह मुझे हर महीने तनख्वाह भी दिया करता। रोहित ने अपनी दोस्ती का फर्ज बहुत ही अच्छे से निभाया और रोहित मुझे बड़े-बड़े लोगों से मिलवाता था।

एक दिन मैंने रोहित से कहा यार पटेल साहब की पत्नी मुझे बड़े घूर कर देखती रहती है। वह कहने लगा फिर तुम मौका की छोड़ते हो तुम भी उनसे बात कर लो और यदि तुम्हारे पास उनका नंबर नहीं है तो मैं तुम्हें नंबर देता हूं। रोहित ने मुझे पटेल साहब की पत्नी अंजली का नंबर दे दिया अब अंजली का नंबर मेरे पास था तो जैसे मेरी खुशियों में अब चार चांद लग चुके थे। अंजली से मैं फोन पर चोरी छुपे बात किया करता मुझे इस चीज का बिल्कुल भी मलाल नहीं था कि मैं अपनी पत्नी को धोखा दे रहा हूं क्योंकि मेरी पत्नी ने भी कभी मेरे साथ कुछ अच्छा नहीं किया था। हम दोनों की मिलन की घड़ी आ ही गई मैं जब अंजली से मिलने के लिए एक होटल में गया वहां पर अंजली ने सारी व्यवस्था की हुई थी। अंजली भी हम दोनों के रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चाहती थी और जब मैने अंजली को लाल रंग के लॉन्ग गाउन में देखा तो मैं उसे देखता रहा। वह मेरी बाहों में आने के लिए तैयार थी उसने अपनी लंबी जुल्फों को अपने हाथों से सही किया और वह मेरी बाहों में आ गई मेरी बाहों में आते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझसे ज्यादा खुश नसीब कोई भी व्यक्ति ना हो।

अंजली ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे भी बड़ा अच्छा लगने लगा अंजली के होंठो को मै बहुत देर तक चूसता रहा। जब मैंने उसके लॉन्ग गाउन को उतारा तो मैंने उसकी ब्रा को खोलते हुए उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया और उसके स्तनों को मैं चूसने लगा। उसके स्तनों को चूसकर मुझे मजा आ रहा था और जैसे ही मैंने उसके मुंह के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी। मैंने जब उसकी योनि के अंदर अपने लंड को तेजी से घुसाया तो मैं अब उसे तेज गति से धक्के मारता और उसके मुंह से सिसकियो की आवाज आती। उसकी सिसकियों से मैं खुश हो जाता और अंजली के साथ मैंने काफी देर तक संभोग का मजा लिया। जब मैंने अंजली के स्तनों पर अपने वीर्य को गिरा दिया तो वह भी खुश हो गई। हम दोनों ने एक साथ काफी घंटे साथ में बिताए और फिर हम दोनों ही अपने घर चले गए।

This entry was posted in Sex stories on by admin.